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गुहार  -   लघुकथा –

गुहार  -   लघुकथा –

 मंत्री जी की गाड़ी जैसे ही बँगले से बाहर निकली, एक जवान औरत  हाथ में खून से  सनी दरांती और गोद में  छोटी बच्ची लिये गाड़ी के आगे आकर खड़ी होगयी। ड्राइवर ने बताया कि वह सुबह से आपसे मिलने की ज़िद कर रही थी। दरबान ने नहीं आने दिया।

"क्या हुआ बेटी। यह क्या हालत बना रखी है"?

"साहब मैं एक फ़ौज़ी की विधवा हूं। मेरा ससुर और देवर मेरी ज़मीन और मेरे शरीर के लिये मुझे परेशान करते हैं”|

"तुम थाने क्यों नहीं गयी। वहाँ जाकर रिपोर्ट लिखाओ"?

"गयी थी साहब। थानेदार जी ने कहा कि रिपोर्ट के लिये पाँच हज़ार लगेंगे। मैंने कहा, पैसे नहीं हैं। अभी पति की पैंशन चालू नहीं हुई है। तो बोला एक रात मेरे साथ सोना पड़ेगा"|

"फ़िर तुम्हें अपने क्षेत्र के विधायक के पास जाना था"?

"साहब, अभी मैं उसी की कोठी से आ रही हूँ। इस दरांती पर उसी का खून लगा है। नेता हो या सरकारी अफ़सर,   औरत देखते ही लार टपकती है। इस देश में  बच्ची हो या बूढ़ी, औरत का जीना दुष्वार हो गया है। आप ही कुछ करो साहब"?

"ड्राइवर, इस बच्ची को गाड़ी में बिठालो और  सरकारी डाक बंगले ले चलो। आज इसकी सारी समस्यायें ज़ड़ से खत्म कर देते हैं"|

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on April 24, 2018 at 2:04pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।

Comment by Nita Kasar on April 24, 2018 at 12:39pm

आज की व्यवस्था में गुहार ही गले की हड्डी बन गई है ।राजनीति के दलदल में सुनवाई की गुंजायश कम हो जाती है बधाई आपको आद० तेजवीरसिंह जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 23, 2018 at 1:53pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 23, 2018 at 1:52pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 23, 2018 at 11:23am

आदरणीय तेजवीर जी सीधे सरल तरीके से अपनी लघु कथा के माध्यम से दिल से संबाद कररही है आपकी यह रचना ..यह रचना मुझे बेहद पसंद आई रचना पर ढेरों शुभकामनाएं स्वीकार करें सादर 

Comment by Neelam Upadhyaya on April 23, 2018 at 10:48am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।  व्यवस्था पर कटाक्ष करती बढ़िया लघु कथा।  प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by TEJ VEER SINGH on April 22, 2018 at 8:03pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 22, 2018 at 8:02pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।

Comment by Samar kabeer on April 22, 2018 at 3:14pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, बहुत उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 22, 2018 at 8:53am

आख़री पंक्ति ने विवशता बताते हुए वास्तविक अन्यायपूर्ण समापन पर बेहतरीन कटाक्ष इंगित कर विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।

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