तन की बात - लघुकथा –
नंदू स्कूल का बैग पटक कर चिल्लाया,"माँ, मैं खेलने जा रहा हूँ। आज स्कूल की छुट्टी होगयी"।
"अरे रुक तो सही, क्या हुआ। अभी गया था और तुरंत वापस आगया। बता तो,क्यों हो गयी छुट्टी"? ममता रसोईघर से हाथ पौंछते हुई निकली|
"माँ, स्कूल की एक लड़की ने स्कूल में आत्म हत्या कर ली"।
इतना बोलकर नंदू खेलने दौड़ गया।
ममता यह खबर सुनकर बेचैन हो गयी।वह भी तुरंत स्कूल पहुंच गयी ।भीड़ लगी हुई थी।पुलिस वाले भी आ चुके थे।लोगों में कानाफ़ूसी चल रही थी।
कोई बता रहा था कि किसी टीचर ने उस लड़की का बलात्कार किया था।
मोहल्ले में दो तीन दिन से उड़ती उड़ती खबर तो फ़ैली हुयी थी।मगर स्पष्ट कुछ पता नहीं चल रहा था।
ऐसा भी सुनने को आया था कि कुछ लोग थाने भी गये थे। दरोगा ने दो हज़ार रुपये माँगे थे रिपोर्ट लिखने के लिये।
जिस कमरे में लड़की की लाश थी, ममता उसमें घुसने लगी तो पुलिस ने रोक दिया।
ममता ने देखा कि कुछ औरतें कमरे की खिड़की से लाश देख रहीं थी।ममता भी वहीं से देखने लगी।
तेरह चौदह साल की लड़की थी।उसने अपनी कलाई काट ली थी।लाश के पास वाली दीवार पर खून से कुछ लिखा हुआ था।शायद उसी लड़की ने मरने से पहले लिखा होगा।ममता ने अपना चश्मा निकाला और दीवार पर टेढ़े मेढ़े अक्षरों में खून से लिखी इबारत को पढ़ना शुरू किया।
नेता करते मन की बात,
टीचर करते तन की बात,
क़ानून करता धन की बात,
किससे कहें हमारी बात |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार जी।
बहुत ही संवेधनशील विषय को केंद्रित लघु कथा..वाह आदरणीय
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।
आदरणीय तेजवीर जी आजकल के हालात का बखूबी चित्रण करती शसक्त रचना के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें सादर
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।
बहुत ही खूबसूरत लघुकथा बनी है। हार्दिक बधाई, आदरणीय तेज वीर सिहं जी
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी। आदाब
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत बढ़िया लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । ज्वलंत विषय पर बहुत ही बढ़िया लघुकथा की प्रस्तुति के लिए बधाई ।
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