For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (कीजियेगा हुस्न वालों से मुहब्बत देख कर )

(फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फाइलुन )

कीजियेगा हुस्न वालों से मुहब्बत देख कर|
हो गए बर्बाद कितने लोग सूरत देख कर |

यूँ नहीं उसकी बुझी आँखों में आई है चमक
वह रुखे दिलबर पे आया है मुसर्रत देख कर|

बागबां आख़िर सितम ढाने से बाज़ आ ही गया
यकबयक फूलों की गुलशन में बग़ावत देख कर |

देखता है कौन यारो आजकल किरदार को
लोग रिश्ता जोड़ते हैं सिर्फ़ दौलत देख कर |

बे वफ़ाई के सिवा इन से तो कुछ मिलता नहीं
आज़माना हुस्न की चौखट पे क़िस्मत देख कर |

वह छुपा कर आसतीं में रखता है ख़ंजर सदा
उसकी जानिब तुम बढ़ाना दस्ते उल्फ़त देख कर |

फिर मुसीबत कोई आने वाली ही तस्दीक़ है
हो रहा है ये गुमाँ उनकी इनायत देख कर |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 20, 2018 at 2:06pm

'सदा' शब्द लुग़ात की रु से संस्कृत भाषा का शब्द है ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 20, 2018 at 1:18pm

आ.जनाब नीलेश नूर साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया। आपका कहना सही है लेकिन आजकल शायरी उर्दू या हिंदी में नहीं बल्कि हिंदुस्तानी ज़बान में हो रही है । सदा शब्द तो  पुराने मशहूर शायरों ने भी खूब इस्तेमाल किया है । सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:53pm

आ. तस्दीक अहमद जी,
बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें ..
सदा हिंदी और उर्दू में अलग अलग मतलब रखता है अत: उर्दू शब्दों के बीच हिंदी का   सदा थोड़ा खटकता है 
सादर 

Comment by Samar kabeer on April 19, 2018 at 9:49pm

बहतर है जनाब ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 19, 2018 at 7:11pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,ग़ज़ल पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ।

आप सही फरमा रहे हैं ,उसे लफ्ज़ "ऐ"से तब्दील कर दिया है 

Comment by Samar kabeer on April 19, 2018 at 6:50pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

मक़्ते के ऊला मिसरे में 'ही' भर्ती का शब्द है,देखियेगा ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 19, 2018 at 6:36pm

आ.जनाब डॉक्टर आशुतोष साहिब ,ग़ज़ल पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 19, 2018 at 5:07pm

आदरणीय भाई तस्दीक अहमद जी बहुत ही मनभावन ग़ज़ल है ..हर शेर उम्दा है रचना के लियेहर्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सादर अभिवादन तुम्हारी ख़्वाहिशों से याद आया हमें कुछ तितलियों से याद आया मैं वो सब भूल जाना चाहता…"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service