For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारा परिवार [ कविता ] परिवार दिवस पर

छोटा-सा,साधारण-सा,प्यारा मध्यमवर्गीय हमारा परिवार,

अपने पन की मिठास घोलता,खुशहाल परिवार का आधार,

परिवार के वो दो,मजबूत स्तम्भ बावा-दादी,

आदर्श गृहणी माँ,पिता कुशल व्यवसायी,

बुआ-चाचा साथ रहते,एक अनमोल रिश्ते में बंधते,

बुजुर्गों की नसीहत से,समझदार और परिपक्व बनते,

चांदनी जैसी शीतलता माँ में,पिता तपते सूरज से,

खौफ इतना,आभास जरा सा,सब नौ-दौ ग्यारह हो जाते,

मुखिया,बावा की मर्जी बगैर ,घर का पत्ता तक न हिलता,

छांव तले अनुशासन से ,सौहाद्र की भावना का बीज पड़ता,

बावा,दादी को 'चिंटू की अयैया',दादी 'चिंटू' कह बावा को बुलाती,

सप्तक दशक पार 'माडर्न दादी',बातों में सबके छक्के छुड़ाती,

लड़ते भाई-बहिन का शोर सुन,बावा-दादी बीच-बचाव करने आते,

ये क्या?/झगड़ा सुलटाते-सुलटाते,खुद आपस में भीड़ जाते,

माहौल गरम भांप,खसक वहां से,बिस्तर में गुल जाते,

डांट खाने की चिंता ,डर  में,सुबह जल्दी उठ जाते,

सर्दी हो या गर्मी ,तडके पांच बजे भोर हो जाती,

दादी सबको पड़ने को जगा,गाय-भैंस में लग जाती,

समय के पावंद ,भ्रमण लौट बावा,नहा-धौ,चाय-नाश्ता करते,

लाठी अपनी उठा,मन्दिर से दोस्त-यारो से मिलने निकल पड़ते,

 याद उन दिनों की आती,जब मेला लगता ,रामलीला होती या सर्कस जाते,

भैय्या बावा के कंधे पर बैठ,हम सब दादी ऊँगली थाम पीछे हो लेते,

इधर-उधर भागते,सोफ्टी खाते,मूंगफली चबाते,झूले झूलते चाट-पकोड़ी चाटते,

जब बात नही मनती हमारी,तो,भैय्या को उकसा कर अपनी लाग लगाते,

मौज-मस्ती कर,थकहार कर,पर,प्रसन्न मन घर लौटते,

रात बिस्तर में दादी से किस्से-कहानी सुन सो जाते,

बात जब होती दोस्तों में,घूमने-फिरने ,मौज-मस्ती या बावा-दादी की,

सुनने वाले थक जाते इतना सब सुन,दोस्तों में अपनी धाक जम जाती,

बात छिड़ती जब,बचपन के बीते बावा-दादी संग दिनों की ,

मन पंख लगा पहुँच जाता,गलियारों,मेलों में,बीते दिनों की,

आज अहसास होता हैं,परिवार के महत्वता की,

एकजुटता ही बुनियाद हैं,जीवन के आधार की,

जमाना बदला ,सोच बदली, 'छोटा परिवार,सुखी परिवार' सूचक बन गये,

पर,सत्य यही हैं, 'दुआएं लुटाते बावा-दादी' ही,खुशहाल परिवार की नींव होते.

मौलिक व प्रकाशित 

बबीता गुप्ता 

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 19, 2018 at 6:29am

परिवार पर सब कुछ समेटने की कोशिश करती बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। किसी छंद में ढालने पर आपका परिश्रम निखर कर सामने आ सकता है। आज अंतिम दिन चल रहे ओबीओ काव्य छंदोत्सव में उपस्थित हो कर बहुत कुछ सीखने की कोशिश की जा सकती है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
19 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service