For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यथित मन की औषधि हैं-संगीत [सामाजिक सरोकार ]

वर्तमान में भागमभाग की जिन्दगी में मनुष्य एक ऐसी मायवी दुनिया में जी रहा हैं जहां ऊपर से अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इन्सान जताता हैं,जबकि वास्तव में वो एक मशीनी जिन्दगी जी रहा हैं,तनावग्रस्त,सम्वेदनहीन,एकाकी हो गया हैं जहाँ सम्वेदनशीलता और सह्रदयता अकेली हो जाती हैं और एक उठला जीवन जीने लगता हैं .ऐसे में उसेइस कोलाहल भरी दुनिया से छुटकारा मिलने का एक मात्र साधन -सात सुरों से सजा संगीत होता हैं.संगीत ही ऐसी औषधि होती हैं जिसमें ह्रदय से बिखरे आदमी को शांत करने की चमत्कारी शक्ति होती हैं.क्योकि संगीत में ही ऐसा जादू हैं जिसमे मनुष्य को तन-मन-धन अर्थात शारीरिक,मानसिक,नैतिक,वैचारिक द्रष्टि से स्वस्थ्य रखने के स्श्रोत होते हैं.यह ईश्वर का दिया ऐसा वरदान हैं कि मन प्रफुल्लित कर, संतोष  व शान्ति प्राप्त होती हैं.वो संगीत ही क्या जिसमे आनन्द की तरंगे न उठे,मन भक्तिमय होकर प्रेममयी न ही जाए.संगीत की भाषा समझने की सूझ-बूझ ईश्वर ने सिर्फ मानव को ही प्रदान की हैं.उल्लासित वातावरण से मन में सकारात्मक विचार व स्फूर्तिवान मन से स्रजनशीलता उत्पन्न होती हैं.इसलिए व्यक्ति को संगीत को अपना अभिन्न अंग बनाना चाहिए.आज जिस तरह से सामजिक विखंडन हो रहा हैं,लोलुप्त्ता से मन विक्षिप्त हो रहा हैं,दुनिया की अंधी दौड़ में अपनी सुध-बुध खो,अशांत होता जा रहा हैं.ऐसे में वह संगीत की स्वर लहरियों में डूब कर ,अपने सारे गमों ,परेशानियों से छुटकारा पा सकता हैं,क्योकि संगीतमयी वातावरण में मनुष्य अपने जीवन से जुड़े दुखांत प्रसंग को विस्मृत कर उसी में सरावोर हो जाता हैं.प्रकृति प्रदत्त एक अनमोल उपहार संगीत ही हैं जिसके लिए किसी विशेष ज्ञान की जरूरत नही होती.जैसा कि लांगफेलो ने कहा हैं कि 'संगीत मानव की विश्वव्यापी भाषा हैं.'संगीत प्रेषित करने का वाधयंत्र फिर कोई भी हो.ढोलक,मंजीरा, जलतरंग ,एकतारा या फिर और कोई ,सभी से निकली स्वर लहरिया सुरम्य व आनन्दमयी वातावरण निर्मित कर सभी को अपनी ओर आकर्षित कर शाश्वत आनन्द में लुप्त हो जाता हैं,फिर चाहे शोक संतप्त मन हो या ख़ुशी का .इस सम्बन्ध में विश्वविख्यात गायन वादन एंरुको का कथन हैं कि - 'जब कभी गायन की मधुर स्वर लहरिया कानों में गूंजती हैं तो भूख प्यास सब भूलकर शारीरिक पीड़ा भूलकर मैं हल्कापन महसूस करता हूँ.'

रचना मौलिक व प्रकाशित हैं.

बबीता गुप्ता 

Views: 377

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service