वर्तमान में भागमभाग की जिन्दगी में मनुष्य एक ऐसी मायवी दुनिया में जी रहा हैं जहां ऊपर से अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इन्सान जताता हैं,जबकि वास्तव में वो एक मशीनी जिन्दगी जी रहा हैं,तनावग्रस्त,सम्वेदनहीन,एकाकी हो गया हैं जहाँ सम्वेदनशीलता और सह्रदयता अकेली हो जाती हैं और एक उठला जीवन जीने लगता हैं .ऐसे में उसेइस कोलाहल भरी दुनिया से छुटकारा मिलने का एक मात्र साधन -सात सुरों से सजा संगीत होता हैं.संगीत ही ऐसी औषधि होती हैं जिसमें ह्रदय से बिखरे आदमी को शांत करने की चमत्कारी शक्ति होती हैं.क्योकि संगीत में ही ऐसा जादू हैं जिसमे मनुष्य को तन-मन-धन अर्थात शारीरिक,मानसिक,नैतिक,वैचारिक द्रष्टि से स्वस्थ्य रखने के स्श्रोत होते हैं.यह ईश्वर का दिया ऐसा वरदान हैं कि मन प्रफुल्लित कर, संतोष व शान्ति प्राप्त होती हैं.वो संगीत ही क्या जिसमे आनन्द की तरंगे न उठे,मन भक्तिमय होकर प्रेममयी न ही जाए.संगीत की भाषा समझने की सूझ-बूझ ईश्वर ने सिर्फ मानव को ही प्रदान की हैं.उल्लासित वातावरण से मन में सकारात्मक विचार व स्फूर्तिवान मन से स्रजनशीलता उत्पन्न होती हैं.इसलिए व्यक्ति को संगीत को अपना अभिन्न अंग बनाना चाहिए.आज जिस तरह से सामजिक विखंडन हो रहा हैं,लोलुप्त्ता से मन विक्षिप्त हो रहा हैं,दुनिया की अंधी दौड़ में अपनी सुध-बुध खो,अशांत होता जा रहा हैं.ऐसे में वह संगीत की स्वर लहरियों में डूब कर ,अपने सारे गमों ,परेशानियों से छुटकारा पा सकता हैं,क्योकि संगीतमयी वातावरण में मनुष्य अपने जीवन से जुड़े दुखांत प्रसंग को विस्मृत कर उसी में सरावोर हो जाता हैं.प्रकृति प्रदत्त एक अनमोल उपहार संगीत ही हैं जिसके लिए किसी विशेष ज्ञान की जरूरत नही होती.जैसा कि लांगफेलो ने कहा हैं कि 'संगीत मानव की विश्वव्यापी भाषा हैं.'संगीत प्रेषित करने का वाधयंत्र फिर कोई भी हो.ढोलक,मंजीरा, जलतरंग ,एकतारा या फिर और कोई ,सभी से निकली स्वर लहरिया सुरम्य व आनन्दमयी वातावरण निर्मित कर सभी को अपनी ओर आकर्षित कर शाश्वत आनन्द में लुप्त हो जाता हैं,फिर चाहे शोक संतप्त मन हो या ख़ुशी का .इस सम्बन्ध में विश्वविख्यात गायन वादन एंरुको का कथन हैं कि - 'जब कभी गायन की मधुर स्वर लहरिया कानों में गूंजती हैं तो भूख प्यास सब भूलकर शारीरिक पीड़ा भूलकर मैं हल्कापन महसूस करता हूँ.'
रचना मौलिक व प्रकाशित हैं.
बबीता गुप्ता
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online