For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'एक फरियाद - माँ की'

ममता का सागर,प्यार का वरदान हैं माँ,

जिसका सब्र और समर्पण होता हैं अनन्त,

सौभाग्य उसका,बेटा-बेटी की जन्मदात्री कहलाना,

माँ बनते ही,सुखद भविष्य का बुनती वो सपना,

इसी 'उधेड़बुन'में,कब बाल पक गये,

लरजते हाथ,झुकी कमर.सहारा तलाशती बूढ़ी आँखे,

अंगुली पकडकर,गिरकर उठना सिखाया,जिसको,

वही अंगुली,कब हाथ से फिसल गई........

जिन्दगी का लम्बा पडाव,पलक झपकते  गुजर गया??????

इच्छाओं का दमन कर,बच्चों का जीवन संबारती ,

वेपरवाह,धूप-लपट में ,तावड़-तोड़,दुनियाँ जहां से दूर,

एक पैर पर दौड़-दौड़,बच्चों को लायक बनाया,

टीस होती मन के किसी कोने में.......

अफ़सोस!!परवरिश में ऐसा क्या हुआ??????

दिन-रात माँ की रट लगाने वाला,

किस माया के अधीन हो गया?????

तिनका-तिनका बटोरकर,सर ढकने को छत्त दी...

आज उसी को दर-दर की ठोकरे खाने को छोड़ दिया.....

खुद से पहले निवाला खिलाया,उसको ही पेट भरने को तरसा दिया......

मन सालता हैं,तुझसे माँ का दर्द कैसे अनजान रहा....

तू मुझसे जाना जाता था,उसी को आज गुमनाम कर दिया.....

सबसे बड़ी सेवा 'माता-पिता की सेवा',

इंसानियत का सबक कैसे भूल गया???????

शायद.....मैं ही कसूरवार हूँ तुम्हारी,

तुम्हें तो जमाने के लायक बना दिया,पर स्वयं न बन सकी....

और हां,सपनों की लड़ी में,अपने'इस भविष्य का मनका' पिरोना भूल गई.... 

खैर...तो,बस ,गुजारिश इतनी सी हैं कि....

तुम्हारे 'संवेदनहीन ह्रदय' में,कभी 'ममत्व का स्पंदन' हो जाए...

भूली-बिसरी,विस्म्रत यादों में,माँ...की झलक दिख जाए...

तो बस,बेवश माँ की फरियाद जरूर सुन लेना,

दुनिया बदलती हैं,माँ नही बदलती,

सो,चकाचौंध की दुनिया में,माँ को 'ममी'[मृत]मत बनने देना.

रचना मौलिक व अप्रकाशित हैं.

बबीता गुप्ता 

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on May 15, 2018 at 10:52am

आदरणीया बबीता गुप्ता जी आदाब,

                              लाजवाब और विचारोत्तेजक रचना । मैं आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी की बातों से सहमत हूँ । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on May 14, 2018 at 5:51pm

रचना की सराहना करने के लिए आप सभी का सधन्यवाद. सुधारात्मक दिए गए सुझावों का ध्यान रखूगी

Comment by Samar kabeer on May 14, 2018 at 4:01pm

मोहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

जनाब सुशील सरना जी की बात का संज्ञान लें ।

Comment by Sushil Sarna on May 14, 2018 at 3:45pm

आदरणीय बबिता जी सुंदर और भावपूर्ण सृजन का प्रस्तुतीकरण हुआ है। एक चुभता हुआ यथार्थ है। जमाने की हवा कहें, परवरिश का दोष कहें, या सवेदनहीनता का चरम कहें ... कुछ भी कहें लेकिन ये स्थिति है दुर्भागयपूर्ण। ... इस रचना के लिए हार्दिक बधाई और हाँ आदरणीया बबिता जी सृजन में कहीं कहीं शाब्दिक दोष के कारण प्रवाह बाधित होता है , कृपया देख लें। सादर ...

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 14, 2018 at 12:53pm

बेहतरीन भावपूर्ण विचारोत्तेजक अभिव्यक्ति। सादर हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। इसे किसी मनचाहे काव्य-छंद में भी पिरोने का प्रयास भी किया जा सकता है। यहां ओबीओ साहित्यिक फाइलों का अध्ययन किया जा सकता है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service