For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसास होगा याद अगर करते हैं

2212-22-1122-22

अहसास होगा याद अगर करते हैं।।
आती है क्यूँ चाहत, के क्यूँ घर करते हैं।।

इस आस से की कल कुछ अच्छा होगा।
हम लोग इक दिन और सफर करते हैं।।

मैंने भी अक्सर नाम लिये बिन लिख्खा।
जज्बात ए दिल बेनाम सफर करते हैं।।

ये आपकी आहट ही कुरेदेगी घर को।
जो छोड़ जाना आप नज़र करतें हैं।।(पेश करना)

ये कह दिया किसने?? की यही सच है इक!
इंसान को भगवान असर करते हैं।

अल्लाह ये भगवान ईशा ड्रामा सब।
इंसानियत आला है अगर करतें हैं।।

मत मान कोई  भी बात मेरी अब सच तू।
है  झूठ, के चाहत कोई ,पर करतें हैं।।

.

आमोद बिंदौरी / मौलिक अप्रकाशित

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 6, 2019 at 7:54pm

आ समर दादा नमन 

दादा ज्यादातर मैं अपने मन में गुनगुनाया मिसरा लेकर ही लिखता हूँ । तो तख्तिया करने जो बहर सामने आई उसे ही निभाता हूँ । इसी लिए काफिया चुनाव और शिल्प निभाना  पाना कठिन हो जाता है । फिर भी मैं कोशिस कर रहा हूँ । की आप को एक अच्छी रचना लिख कर दूँ । अभी तो मैं अपने भाव ही नहीं निभा पाता । रचना लड़ खड़ाती हुई लगती है । 

आप का मार्गदर्शन  के लिए नमन , मैं जल्द ही अंतिम मिसरा और त्रुटि सही कर के पोस्ट कर दूंगा ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 6, 2019 at 7:42pm

आ हरिओम भाई साहब आप का आभार 

Comment by Samar kabeer on March 5, 2019 at 4:38pm

जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मेरा मशविरा है कि आप आसान बहूर पर प्रयास करेंगे तो शिल्प की बारीकियां जल्द समझ सकेंगे,अन्यथा आप बह्र का वज़्न पूरा करने में ही उलझे रहेंगे ।

'इस आस से की कल कुछ अच्छा होगा'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है 'से' की जगह "पर" कर लें,ऐब निकल जायेगा ।


'जो छोड़ जाना आप नज़र करतें हैं।'

इस मिसरे में 'नज़र' शब्द का अर्थ है "दृष्टि"और आप जो पेश करना के अर्थ में लेना चाहते हैं वो शब्द है "नज़्र"

'है  झूठ, के चाहत कोई ,पर करतें हैं'

ये मिसरा बेतुका है ।

Comment by Hariom Shrivastava on March 4, 2019 at 10:57pm

वाह,वाहह,बहुत सुंदर ग़ज़ल

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ, मेदानी जी, कृपया देखेंकि आपके मतल'अ में स्वर ' उका' की क़ैद हो गयी है, अत:…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में कुछ दोष आदरणीय अजय गुप्ता जी नें अपनी टिप्पणी में बताये। उन्हे ठीक कर ग़ज़ल पुन: पोस्ट कर…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी ग़ज़ल का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूँ। यह ग़ज़ल भी प्रशंसनीय है किंतु दूसरे…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी, पोस्ट पर आने और सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बशर शब्द का प्रयोग…"
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service