1-
भाई भाई के लिए, हो जाता कुर्बान।
रिश्ता है यह खून का, ईश्वर का वरदान।।
ईश्वर का वरदान, नहीं है जिसका सानी।
पाण्डव हों या राम, सभी की यही कहानी।।
सुलझाकर मतभेद, न मन में रखें खटाई।
बुरे वक्त में काम, सिर्फ आता है भाई।।
2-
भाई का रिश्ता अमर, जैसे लक्ष्मण राम।
मगर विभीषण ने किया, इसे बहुत बदनाम।।
इसे बहुत बदनाम, और भेदी कहलाया।
देकर सारे भेद, नाश कुल का करवाया।।
तुलसी ने रच ग्रंथ, इन्हीं की महिमा गाई।
दशरथ नंदन राम, भरत लक्ष्मण से भाई।।
(मौलिक व अप्रत्याशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**
Comment
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब।
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।।
जनाब हरिओम साहिब, सुंदर कुंडली छंद हुए हैं मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आद0 हरिओम श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। सन्देश परक बेहतरीन कुण्डलिया के लिए आपको बधाई प्रेषित करता हूँ। सादर
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