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तुम हसीं हो ये भले ही तुम्हें गुमान रहे
आईना टूट न जाए मग़र ये ध्यान रहे
पाँव मन्ज़िल की तरफ रख सँभल सँभल के ज़रा
एक दिल भी है तेरी राह में ये ध्यान रहे
तू ज़माने से रहे बे-ख़बर नहीं कहता
किन्तु इस दिल के भजन पर भी तेरा कान रहे
तेरी साँसों के हर-इक गीत में रहूँ शामिल
ताल सुर नाद ये पंकज ही तेरी तान रहे
पूछ मत नींद सुकूँ का हिसाब आशिक़ से
आशिक़ी कैसी अगर ध्यान में ज़ियान रहे
जान का यार न पूछो हिसाब सैनिक से
आशिक़ी कैसी अगर ध्यान में ज़ियान रहे
यूँ ही मुनियों नें विधाता नहीं लिखा तुम को
शेष जब कुछ न रहे तब भी तू नदान रहे
मौलिक अप्रकाशित
Comment
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'यूँ ही मुनियों नें विधाता नहीं लिखा तुम को
शेष जब कुछ न रहे तब भी तू नदान रहे'
इस शैर में शुतरगुरबा दोष देखें
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