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1222   1222   1222   1222

मुहब्बत के नगर में आँसुओं के कारखाने है,
यहां रहकर पुराने जन्म के कर्ज़े चुकाने हैं.

सड़क पर आके देखों तो झुलस जाओगे शिद्दत से,
समाचारों में तो इस दौर के मौसम सुहाने हैं.

उतर आया अब आँखों में आंगन में भरा पानी,
मेरी चाहत के अफसाने में पटना के फसाने हैं.

फलक पर चाँद चाहे चौथ का हो या हो पूनम का,
हमें त्यौहार सब परदेस में तन्हा मनाने हैं.

कहाँ पे आके बिगड़ी ये कहानी सोचना यारो,
मुझे फिर से तुम्हें अपने सभी किस्से सुनाने हैं.

दिखाई दे रहा है आज भी मुझको तेरा दामन,
उसे शफ्फाक रखने को मुझे आँसू छुपाने हैं.

बहुत मुश्किल से दिल के दर्द शब्दों में उड़ाए थे,
बहुत जल्दी मगर ये सारे दिल मे बैठ जाने हैं.

किसी की क्या जरूरत है नई दुनिया के लोगों को,
न डोली ही उठानी है न छप्पर ही उठाने हैं.

हमारे हाथ से निखरा नहीं है शाइरी का हुश्न,
ग़ज़ल कहना तो खुद से दूर जाने के बहाने हैं.

बड़ी जल्दी किसी के आँसुओं को पोछने वालों,
उसे भी कुछ दिनों में दर्द सारे भूल जाने हैं.

सभी का हक़ बराबर राम के सुखराज में लेकिन,
बताओ बेर शबरी के यहाँ किस किस को खाने हैं.

जहाँ पर हो वहीं से दो हमें आशीष दादी माँ,
तुम्हारे बिन हमें पहली दफा दीपक जलाने हैं.

कोई अहसास बाकी हो तो उसको कल कहेगें अब
सुबह उठकर तो विद्यालय में बच्चें भी पढ़ाने हैं

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by मनोज अहसास on October 21, 2019 at 4:35pm

आपका जितना आभार मैं प्रकट करू, कम है

बस आपको सादर प्रणाम करता हूँ

सुझावों पर काम करता हूँ

हार्दिक आभार

Comment by मनोज अहसास on October 21, 2019 at 11:53am

आपका जितना आभार मैं प्रकट करू, कम है

बस आपको सादर प्रणाम करता हूँ

सुझावों पर काम करता हूँ

हार्दिक आभार

Comment by Samar kabeer on October 19, 2019 at 2:53pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

'उतर आया अब आँखों में आंगन में भरा पानी'

ये मिसरा बह्र में नहीं है,देखियेगा ।

'उसे शफ्फाक रखने को मुझे आँसू छुपाने हैं'

इस मिसरे में 'शफ्फाक' ग़लत शब्द  है,सहीह शब्द है "शफ़्फ़ाफ़" ।

'हमारे हाथ से निखरा नहीं है शाइरी का हुश्न'

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इस बह्र में मिसरे के अंत में एक साकिन लेने की इजाज़त नहीं है ।

'तुम्हारे बिन हमें पहली दफा दीपक जलाने हैं'

इस मिसरे में 'दफ़ा' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है ''दफ़'अ" ।

'सुबह उठकर तो विद्यालय में बच्चें भी पढ़ाने हैं'

इस मिसरे में 'सुबह'12 ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "सुब्ह"21 देखियेगा ।

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