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हिंदी गजल: बहरे हजज मुसद्दस (6) सालिम

1222 1222 1222
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गजब ये रंग देखा है जमाने का।
सहारा है सभी को इक बहाने का।
*****
नजर के तीर से कर चाक दिल मेरा,
कहेगें हाल तो कह दो निशाने का।
*****
रही आदत खिलौना प्यार को समझा,
किया है खेल रोने औ रुलाने का।
*****
हमारा दर्द ही हमको सिखाया है,
बुरे हालात में, हँसने हँसाने का।
*****
मरा है क्यों उसीपे ऐ दिवाना दिल,
हिदायत दे गया जो छोड़ जाने का।
*****
तड़पते देख हैं-हैरान उनको हम,
जिन्हें उस्ताद माना था सताने का।
*****
लिखा मैंने वही उल्फत जुड़ी तुमसे
बुरा ही हश्र हुआ मेरे फ़साने का।
*****

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by मिथिलेश वामनकर on April 2, 2015 at 2:53pm

आदरणीय सुनील जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है ... हार्दिक बधाई 

इन तीन मिसरों पर पुनर्विचार अवश्य कीजियेगा-

\\हमारा दर्द ही हमको सिखाया है,\\--- हमारे दर्द ने हमको सिखाया है/हमारा दर्द ही हमको सिखाता है 

\\मरा है क्यों उसीपे ऐ दिवाना दिल,\\ 

\\बुरा ही हश्र हुआ मेरे फ़साने का।\\

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