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जिन्दगी ,
इस उम्र की इस पराव पर ,
मुझे अब लगाने लगा हैं ,
जिन्दगी एक खुबसूरत ख्वाब हैं ,
और मैं इस ख्वाब को ,
खूबसूरती से जीना चाहता हूँ ,
जिन्दगी ,
इसी का नाम हैं ,
जो जीने के लिए ,
उत्साहित करे ,
औरो के लिए ,
कुछ करने की तमन्ना हो ,
जिन्दगी ,
दोस्तों की दोस्ती ,
अपनो की अपनापन ,
दुस्मानो से सिख ,
गैरो से मुहबत ,
समझ जिन्दगी की ,
इस उम्र की इस पराव पर ,

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 5:20pm
जिंदगी जब समझ में आये तभी जीना प्रारंभ कर देना चाहिए| सुन्दर कविता|

ब्रह्माण्ड

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 9, 2010 at 9:17am
Wah guru jee wah, Jindgi ko bahut achi tarah sey aapney difine kiya hai,bahut badhiya...
Comment by Admin on March 9, 2010 at 8:50am
जबरदस्त गुरु जी, आप तो अपने पहले ब्लॉग मे छक्का मार दिया है ,हम लोग आपकी भोजपुरी रचना तो बहुत पढे है पर हिंदी की कविता पहला पढ़ रहे है और बहुत ही सुन्दर रचना है, धन्यवाद,उम्मीद है इसी तरह आगे भी हम लोगो को कुछ खुबसूरत रचना पढने को मिलेगी I

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