For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कब तलक ?,
यु ही आशु बहाती रहोगी ,
पहले सुनी मांग ,
और अब ,
सुनी गोद होने का डर ,
पलक झपकाये बीना ,
देखती रहोगी ,
कब तलक ?,
उट्ठो ,
आवाज दो ,
रोको उसे ,
वह अपना बर्तमान से ,
और तुम्हारे भाभिस्य से ,
खिलवार कर रहा हैं ,
और तुम यु ही ,
देखती रहोगी ,
कब तलक ?,
जिन्हें पैसे की भूख हैं ,
वो पैसे के लिए ,
कितने घरो का ,
बुझाये दीये ,
अब भी समय हैं ,
आवाज उठाओ ,
जो बर्बाद कर रहे हैं ,
हमारे भाभिस्य को ,
उनको कुचल दो .
देखती रहोगी ,
कब तलक ?,
तुम आदि सक्ती के रूप हो ,
तुमने क्या ना किया ,
इतिहास गवाह हैं ,
क्या तुम इन चन्द ,
सराब बनाने वालो को ,
जर से मिटा नाही सकती,
अगर नाही मिटा सकती ,
तो यु ही बहाती रहो आसू ,
फिर कभी नाही पूछूँगा ,
कब तलक ?,

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 5:46pm
बहुत सुन्दर| नारी चेतना को जाग्रत करती हुई कविता |
ब्रह्माण्ड
Comment by Babita Gupta on March 22, 2010 at 3:47pm
Ravi Bhaiya beautiful poem,thanks
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on March 16, 2010 at 8:16am
bahut shaandar guru jee........
hardam ki tarah ek aur dhamakedaar rachna.......
raua zor naikhe fatafat kavita ya aur bhi kuch likhe me......

bahut badhiay guru jee lagal rahi....

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 15, 2010 at 7:21pm
पहले सुनी मांग ,
और अब ,
सुनी गोद होने का डर ,
पलक झपकाये बीना ,
देखती रहोगी ,
कब तलक ?,
गुरू जी हमेशा की तरह यह भी आपकी बेहतरिन रचनाऒ मे से एक है, नारी जब तक ममता और करूणा से काम ले रही है तभी तक वो अबला है जिस दिन वो अपने पर आ गई न तो समाज के दुश्मनो को छुपने के लिए धरती कम पडने लगेगी, बहुत बहुत धन्यबाद इस रचना के लिए ।
Comment by Admin on March 15, 2010 at 7:00pm
अब भी समय हैं ,
आवाज उठाओ ,
जो बर्बाद कर रहे हैं ,
हमारे भाभिस्य को ,
उनको कुचल दो .
गुरू जी बहुत ही मार्मिक और सोचने पर मजबुर कर देने वाली कविता आपने लिखा है, किसी ने सही कहा है कि औरत तेरी यही कहानी ऑचल मे दूध आखो मे पानी, पर सवाल उठता है कि आखिर कब तक ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service