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दोस्तों मेरी किताब की मेरी प्यारी ग़ज़ल, आप को कैसी लगी sunday spacial.................

क्यों खफा हो कुछ बताओ तो सही,
हाल दिल का तुम सुनाओ तो सही।

हम फ़िदा तेरी अदा पे बावफा,
तेरा जलवा अब दिखाओ तो सही।

गर न समझे तो दुखी हो जिन्दगी,
नीर जीवन है बचाओ तो सही।

वो सितारा टूट कर क्यों है गिरा,
राज गहरा ये बताओ तो सही।

सांस लेना चाहते हो गर भली,
पेड़ धरती पे लगाओ तो सही।

वक्त की रफ्तार होगी कम नही,
सो रहे मन को जगाओ तो सही।

कल हसीं महके बगीया ये चमन,
आज उसके पास जाओ तो सही।

देख कर यूं हाल दिल बीमार का,
रो न "रैना" मुस्कराओ तो सही।"रैना"

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Comment by वीनस केसरी on March 20, 2013 at 12:22am

spacial.................

Comment by Yogi Saraswat on March 19, 2013 at 2:55pm

सांस लेना चाहते हो गर भली,
पेड़ धरती पे लगाओ तो सही।

वक्त की रफ्तार होगी कम नही,
सो रहे मन को जगाओ तो सही।

bahut khoob

Comment by ram shiromani pathak on March 18, 2013 at 10:21pm

सांस लेना चाहते हो गर भली,
पेड़ धरती पे लगाओ तो सही।

वक्त की रफ्तार होगी कम नही,
सो रहे मन को जगाओ तो सही।बहुत सुन्दर .....gyanwardhak

Comment by मोहन बेगोवाल on March 17, 2013 at 10:47pm

रेना जी,

आप की गज़ल बहुत सुन्दर , सादगी से आप ने बहुत बड़ी बातें कह दी मुझे आप का  कहा ये शेर बहुत अच्छा लगा 

कृपया ध्यान दे...

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