For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सांझ
के झुटपुट
अंधेरे मैं
दुआ के लिए
उठा कर हाथ
क्या
मांगना
टूटते
हुए तारे से
जो अपना
ही
अस्तित्व
नहीं रख सकता
कायम
माँगना ही है तो मांगो
डूबते
हुए सूरज से
जो अस्त हो कर भी
नही होता पस्त
अस्त होता है वो,
एक नए सूर्योदय के लिए
अपनी स्वर्णिम किरणों से
रोशन करने को
सारा ज़हान

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2010 at 9:17pm
Didi Bahut hi badhiya aap likhi hai, Dubatey suraj key mahatwa ko batatey huwey yey aap ki kavita nihayat hi khubsurat hai, kam shabdo mey bahut kuch kah sakney mey saksham hai yey rachna, Mai to UP ka rahney wala aur Bihar mey naukari karta hu, yaha par to hamari sabsey badi pooja hi dubtey surya key pooja sey prarambh hoti hai, jisey CHHATH pooja key naam sey sabhi log jantey hai,
Mainey aek bhojpuri kavita likhi thi jiski kooch paktiya yaha likhana chaahta hu..
सगरे जॅहा मे जवन कही ना होला,
होला ऊ, यू.पी.आऊर बिहार मे ,
डूबत सूरुज के पूजा होला,
छठी के त्योहार मे I

डूबत सूरुज के पूजा कईला के,
संदेश जाला सारा संसार मे ,
बॅड बुजुर्ग के आदर कईल ,
शामिल बा,हमनी के संस्कार मे,
Comment by Rash Bihari Ravi on May 13, 2010 at 4:26pm
माँगना ही है तो मांगो
डूबते
हुए सूरज से
जो अस्त हो कर भी
नही होता पस्त
अस्त होता है वो,
एक नए सूर्योदय के लिए
अपनी स्वर्णिम किरणों से
रोशन करने को
सारा ज़हान
ek satya

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 13, 2010 at 3:24pm
बड़ी जिंदादिल कविता कहती हैं आप मैडम रजनी जी ! चदते सूरज को तो सभी सलाम करते हैं लेकिन आप ने जिस तरह डूबते हुए सूरज को भी इज्ज़त बख्शी है वो आपकी निहायत ही प्रौढ़ सोच और ख्याल की बुलंदी का जिंदा-ताबिंदा सबूत है ! इतने कम अलफ़ाज़, और इतने सुंदर अंदाज़ में कामयाबी से अपनी बात कह जाना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है ! सांझ के अँधेरे में भी रोशनी की किरनें बिखेरती हुई इस खूबसूरत रचना के लिए मेरी दिली मुबारकबाद कबूल फरमायें.
Comment by Admin on May 13, 2010 at 11:59am
आदरणीय रजनी दीदी, बहुत ही सुंदर रचना है यह,आप बिलकुल सही लिखी है,की उससे क्या मांगना जो अपना ही अस्तित्व ही नहीं बचा सकता है, मांगना है तो डूबते सूरज से मांगो, जो अस्त होकर भी पस्त नहीं होता, बिलकुल सही है, कही न कही डूबते हुवे सूरज ये सन्देश जरूर देता है की हार के आगे ही जीत है, हार कर कभी न चुप बैठो , जीतने के लिये संघर्ष करो ,
कम शब्दों मे बहुत बड़ा सन्देश देती आप की कविता वाकई बहुत बढ़िया है,धन्यवाद,
Comment by hemant kumar thakur on May 13, 2010 at 11:18am
KI BAS EK SITARE BHAR KI ROSHNI MIL JAYE ....JANE ANJANE RAHI KO RAH DIKHANE KE LIYE.... BAHUT ACHHA LIKH HAI AAPNE...... EK TOOTA HUA TARA JO KHUD KA WAZOOD KAYAM NAHI RAKH SAKA ..KYA MANGE HUM......WAH ...../
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 13, 2010 at 10:48am
rajni didi pranam.........aaj bahut dino baad aapki rachna padhne ko mili iske liye aapka bahut bahut dhanyabaad..........
bahut hi acchi rachna hai....ek baar fir se man gad gad ho gaya padhkar,....
सांझ के झुटपुट अंधेरे मैं दुआ के लिए उठा कर हाथ क्या मांगना,टूटते हुए तारे से जो अपना ही अस्तित्व नहीं रख सकता

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Mar 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service