For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''हैवानियत की इन्तहां''

है मरने वालों की लंबी बड़ी दास्तां

कुछ मरे हैं यहाँ कुछ मरे हैं वहाँ

एक इंसा की गर्दन है अब तक बची

उसके बदले में ये सब तबाही मची

कितनी बार ऐसे हो चुके हैं हादसे  

मुजरिम है सलामत बेगुनाह जा फँसे  

आतंकी अपनी हठ पर हैं कबसे अड़े

बहाया है खून लोगों के कर लोथड़े  

कितनों का बचपन पिता बिन लुटा

सुहागिनों का सिन्दूर माँगों से छुटा

माँ-बाप के कलेजों के चिथड़े हुये

हालात देश के और भी हैं बिगड़े हुये

हमने दिये हैं सबर के कितने इम्तहां

और ये जलाते रहे हैं लोगों के जहां

अपने होश को दिलों में करके दफन

कितने लोगों को पहना चुके हैं कफ़न   

नफरत से तबाही मचाने में हैं मखमूर   

हिसाब इनका भी एक दिन होगा जरूर l

 

-शन्नो अग्रवाल

Views: 422

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on July 16, 2011 at 12:06am
धन्यबाद अनीता जी.
Comment by Anita Maurya on July 15, 2011 at 7:34pm

एक इंसा की गर्दन है अब तक बची

उसके बदले में ये सब तबाही मची... kash ki is insaan ka faisla ho pata..

 

Comment by Shanno Aggarwal on July 15, 2011 at 12:08am
सतीश जी, रचना के प्रति आपकी सराहना के लिये आभार सहित बहुत-बहुत धन्यबाद.
Comment by Shanno Aggarwal on July 15, 2011 at 12:05am
गणेश, रचना की सराहना के लिये बहुत-बहुत धन्यबाद..हम सभी देश व बिदेश में रहने वाले भारतियों को बहुत दुख है इस दुर्घटना के बारे में.
Comment by satish mapatpuri on July 14, 2011 at 11:51pm

अपने होश को दिलों में करके दफन

कितने लोगों को पहना चुके हैं कफ़न  

नफरत से तबाही मचाने में हैं मखमूर  

हिसाब इनका भी एक दिन होगा जरूर l

बेहतरीन, बहुत -बहुत बधाई . शन्नो जी,उस दिन का इंतज़ार तो हर हिन्दुस्तानी को है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2011 at 7:26pm

//एक इंसा की गर्दन है अब तक बची

उसके बदले में ये सब तबाही मची//

 

बहुत ही आक्रोश के साथ लिखी गई रचना है , आप के कथन से सहमत हूँ , बहुत ही खुबसूरत भाव है, बहुत बहुत बधाई आपको इस खुबसूरत रचना हेतु और बहुत बहुत दुःख उस घटना हेतु |

 

//इंसान की हैवानियत की होती है हद  

पर ये हैवान लांघ गये हद की सरहद//

शन्नो दीदी उक्त नीचे वाली पक्ति पर ध्यान देने की आवश्यकता है "हद की सरहद" का कोई मतलब नहीं निकलता, सरहद मतलब देश की सीमा, हद मतलब सीमा |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
21 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service