For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


बचपन में

एक दिन 

एक संटी को

मुँह में दबाकर

मैं गन्ना

समझ बैठी

आज लिखते हुये

फिर भूल से 

किसी के पन्ने को

मैं अपना पन्ना

समझ बैठी

न जाने कितनी

होती रहती हैं

मिस्टेक जिंदगी में

कुछ अनजाने में

कुछ नादानी में

फिर आती है

झेंप इतनी

तो उन्हें मैं कैसे,

किस तरह और  

किस किससे कहती l

 

-शन्नो अग्रवाल

 

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on August 6, 2011 at 1:46am

वीरेंद्र एवं सतीश जी, रचना सराहने के लिये आपका हार्दिक धन्यबाद. 

Comment by satish mapatpuri on August 6, 2011 at 12:36am

आज लिखते हुये

फिर भूल से

किसी के पन्ने को

मैं अपना पन्ना

समझ बैठी

बहुत खूब

Comment by Veerendra Jain on August 6, 2011 at 12:18am

bahut hi khubsoorat kavita.... bahut bahut badhai aapko...

Comment by Shanno Aggarwal on August 5, 2011 at 11:32pm

आशीष, आपका बहुत धन्यबाद. 

Comment by आशीष यादव on August 5, 2011 at 9:58pm

jindgi hai, galtiyan hona swabhawik hai aur unki sahaj swikriti bahut badi baat hai.

badhai.

Comment by Shanno Aggarwal on August 5, 2011 at 9:52pm

आदरणीय सौरभ जी एवं गणेश जी, मेरी छोटी सी रचना को आप लोगों ने सराहा जिसके लिये आप दोनों का बहुत धन्यबाद.   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2011 at 6:17pm

//

आज लिखते हुये

फिर भूल से 

किसी के पन्ने को

मैं अपना पन्ना//

आद. शन्नोजी, बहुत बधाई हो इस रचना के लिये. आपकी स्वीकारोक्ति कितनी सहज है..!!  इस सहजता को रचनाओं की अंतर्धारा बनायी जाये तो इनली संप्रेषणीयता कितनी बढ़ जायेगी.. !!

आपसे और-और की उम्मीद बनी रहेगी. ..

धन्यवाद



मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 5, 2011 at 10:46am

होती रहती हैं

मिस्टेक जिंदगी में

कुछ अनजाने में

कुछ नादानी में

 

बिलकुल सही कह रही है शन्नो दीदी, इंसान तो गलतियों का पुतला है, जितना मिनीमाइज कर सके वही प्रयास हम सब करते है < खुबसूरत कविता हेतु आपका आभार | 


कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service