For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''अन्ना की लीला'' (चार कुण्डलियाँ)

चार कुण्डलियाँ 

 

(१)

लीला है उस राम की, अन्ना यहाँ हजार    

लोग जमा हो गये हैं, छोड़ दिया घरबार  

छोड़ दिया घरबार, सह रहे आँधी-पानी

अनशन की शुरुआत, शुरू वही कहानी

भाग रही है भीड़, सभी कुछ गीला-गीला 

हे प्रभु इस उम्र में, करवा रहे हो लीला l

 

(२)

कभी तो पिघलेगी ये, पत्थर दिल सरकार  

ये धींगा-मस्ती नहीं, अन्ना की है पुकार 

अन्ना की है पुकार, हो रहीं मेडिकल जांचें

अनशन से ना ताकि, बंद हो जायें कुलांचें

पूजा-पाठ प्रार्थना, ''शन्नो'' यहाँ करें सभी   

लोकपाल का बीज, उगेगा अब यहीं कभी l

(3)

धोखा करती सरकार, अन्ना यहाँ हजार 

चले मिटाने हैं सभी, मिलकर भ्रष्टाचार

मिलकर भ्रष्टाचार, जोश है इतना छाया

लोग हुये विद्रोही, सभी सत्ता की माया

''शन्नो'' इसका देख, बनेगा खेल अनोखा    

लोकपाल बने तो, न कोई होगा धोखा l

 

(4)

मूक और कमजोर सा, दिखने लगा शरीर

सबको है चिंता बहुत, हालत है गंभीर

हालत है गंभीर, ना सुलझा अन्ना-केस

राजनीति में भरे, बहुरूपी कितने फेस

कहे दुख से ‘’शन्नो’’, जबाब वो दें दो टूक

नहीं पिघला है दिल, सत्ता अब भी है मूक.

 

 

  • शन्नो अग्रवाल  

 

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on August 23, 2011 at 3:04am

गणेश, कुंडलियों की सराहना के लिये बहुत-बहुत धन्यबाद. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 21, 2011 at 4:12pm

सम सामयिक घटनाओं पर आधारित आपकी दोनों कुण्डलिया बहुत ही खुबसूरत और तथ्य प्रधान बन पड़ी है, बधाई स्वीकार कीजिये शन्नो दीदी |

Comment by Shanno Aggarwal on August 21, 2011 at 3:08am
सराहना के लिये बहुत धन्यबाद आशीष.
Comment by आशीष यादव on August 20, 2011 at 11:44pm

एक सामयिक रचना| बहुत बहुत बधाई आदरणीया शन्नो जी|

Comment by Shanno Aggarwal on August 20, 2011 at 10:47pm

अरुण, आपका बहुत शुक्रिया. 

Comment by Abhinav Arun on August 19, 2011 at 8:16pm

अन्ना और सामयिक सन्दर्भों पर बहुत अच्छी  और प्रभावशाली रचना | शुभकामनाये शन्नो जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"बहुत बेहतरीन ग़ज़ल। एक के बाद एक कामयाब शेर। बहुत आनंद आया पढ़कर। मतले ने समां बांध दिया जिसे आपके हर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service