For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भूला कहाँ हूँ कच्चा घर अपने गाँव का

भूला कहाँ हूँ कच्चा घर अपने गाँव का ||
जो बना था लकड़ी का दर अपने गाँव का ||

थी वो महकती मिटटी और वो कच्ची गली ,
घूमे  ख़्यालों में  मंज़र अपने  गाँव का ||

आँखे हुई नम , देखकर  पानी  बरसात  का ,
जो याद आये जोहड़ अक्सर अपने गाँव का ||

जब गाँव छोड़ा तो वालिद समझाए मुझे ,
झुकने न देना कभी तुम, सर अपने गाँव का ||

कैसी हवा आई है ये  मगरिब से "नजील ",
मुझको सताए है अब डर अपने गाँव का ||


Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 4, 2012 at 7:11pm
आपने गांव का भाव पूर्ण चित्रण किया है
नजील जी।बधाई स्वीकार कीजिए।अब
गांव कुछ-कुछ बदलने लगा
है।
Comment by Nazeel on March 4, 2012 at 12:38pm

सही फ़रमाया आनंद जी आपने कोशिशे कभी अदनी नहीं होती ......क्योंकि कोशिश से ही हम कुछ प्राप्त कर सकते हैं .....:-)

Comment by Nazeel on March 4, 2012 at 12:37pm

धन्यावाद मृदु  जी ...... उत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार .......

Comment by Nazeel on March 4, 2012 at 12:36pm

धन्यावाद प्रदीप कुमार सिंह  जी ...... उत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार .......

Comment by Nazeel on March 4, 2012 at 12:35pm

धन्यावाद वाहिद  जी ...... उत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार .......

Comment by Nazeel on March 4, 2012 at 12:34pm

धन्यावाद बागी जी ...... उत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार .........मेरे ख्याल से जो अपनापन गाँव के जीवन में है वो शहरी जीवन में  नहीं

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 4, 2012 at 9:51am

गाँव की मिट्टी से जुड़े ख़ूबसूरत जज़्बात की पेशगी पर बधाई नज़ील साहब|

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 3, 2012 at 10:29pm

कैसी हवा आई है ये  मगरिब से "नजील ",
मुझको सताए है अब डर अपने गाँव का ||

बहुत सुंदर भाव, प्रस्तुति. बधाई.

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 10:24pm

थी वो महकती मिटटी और वो कच्ची गली ,
घूमे  ख़्यालों में  मंज़र अपने  गाँव का ||

अच्छी ग़ज़ल की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 3, 2012 at 9:16pm

खुबसूरत अशआर कहे है नज़ील जी, गाँव की बात ही न्यारी है, अच्छी ग़ज़ल की प्रस्तुति पर दाद कुबूल करें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service