For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुःख के रास्ते सुख आता है,
अनुभवों में यह पलता है  
दूर क्षितिज तक जाम है।
जीवन सुख का धाम है,
मृत्यु तुझे सलाम है ।

अटके प्राण स्वजनों में, 
पितृदेव  भटकाव है  
दुःख सहते हरी नाम है 
संकट मोचक हनुमान है
माता-पिता की सेवा ही 
सच्चे चारों धाम है 
मृत्यु तुझे सलाम है ।
 
राम नाम ही सत्य है,
सत्य बोले तो गत है
हरी का नाम अनाम है 
स्वर्ग मिले तो धाम है
मृत्यु तुझे सलाम है । 
 
दुष्कर्मी का नरकवास है
सुकर्मी का बैकुंठवास ।
पितृ लोक अटकाव है,
मृत्यु लोक में वास है;
साकेत राम निवास है 
स्वर्ग मिले तो धाम है 
मृत्यु तुझे सलाम है ।
 
निज गुरु में श्रद्धा-निष्ठां 
ज्ञान प्राप्ति मार्ग है, 
भक्ति का प्रमाण है ।
अनुरागी निष्काम है 
हरी का नाम अनाम है 
निष्फल कर्म प्रधान है 
जीवन सुख का धाम है 
मृत्यु तुझे सलाम है  । 
 
राष्ट्र की रक्षा से बढ़कर 
दूजा न कोई काम है,
मातृभूमि की सोंधी माटी से      
बढ़कर न कोई सुगंध है
इस माटी में देखो 
कैसी अजब मिठास है ।
देश भक्ति के जज्बे में 
आन बान  की शान है ।
जीवन सुख का धाम है 
मृत्यु तुझे सलाम है  । 
 
लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

 

Views: 813

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 12, 2013 at 10:30am

रचना पसंद कर सराहने के लिए हार्दिक आभार श्री नादिर खान भाई 

Comment by नादिर ख़ान on February 11, 2013 at 9:41pm
माता-पिता की सेवा ही 
सच्चे चारों धाम है .....बहुत सही कहा आदरणीय लक्ष्मण जी
इस माटी में देखो 
कैसी अजब मिठास है ।
देश भक्ति के जज्बे में 
आन बान  की शान है ।................         उम्दा अभिव्यक्ति...
 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 8, 2013 at 11:44am
आपकी टिप्पणी से और उत्साह पैदा होता है  हार्दिक आभार आपका डा अजय खरे साहब, 
 
Comment by Dr.Ajay Khare on February 8, 2013 at 11:37am

jeevan ke satya ka sunder bakhan ladiwala ji aap jese kavihirday hi kar sakte he badhai sweekare adarniy

Comment by रविकर on February 8, 2013 at 8:45am

आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के <a href="http://charchamanch.

blogspot.in/">चर्चा मंच</a> पर ।।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 7, 2013 at 7:20pm

रचना के भावों की सराहना करने के लिए हर्दिक आभार आपका मीना पाठक जी

Comment by Meena Pathak on February 7, 2013 at 4:49pm
राष्ट्र की रक्षा से बढ़कर 
दूजा न कोई काम है,
मातृभूमि की सोंधी माटी से      
बढ़कर न कोई सुगंध है
इस माटी में देखो 
कैसी अजब मिठास है ।
देश भक्ति के जज्बे में 
आन बान  की शान है ।
जीवन सुख का धाम है 
मृत्यु तुझे सलाम है  । .... बहुत सुन्दर भाव .. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी 
 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 6, 2013 at 10:02pm

भाई श्री संदीप कुमार पटेल जी रचना के भाव पसंद कर उत्साहित करने हेतु आपका हार्दिक आभार | अपने सही कहा है जीवन मे सफलता है, जीवन सुख का धाम है, पर आख़िर तो मृत्यु को ही गले लागाना है, एक सैनिक खुशी खुशी मृत्यु को सलाम करता हुआ माट्रभूमि पर न्यौछवर हो जाता है\ यही भाव मान मे रख "मृत्यु तुझे सलाम है" कहा है| इस पर आपके अन्यथा विचार हो तो ज़रूर अवगत कारावे|  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 6, 2013 at 9:48pm

मातृभूमि की सोंधी माटी मे जो सुगंध है, उसका अहसास ही आपको सुदूर देश यू एस ए मे रहते हुए भी इस देश से जोड़े हुए है और इसकी मिठास से सभी अन्न मे शक्कर घुली होती है | रचना पसंद कर उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार स्वीकारे आदरणीय विजय निक़ोरे जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 6, 2013 at 9:39pm
"क्या माई = माँ के स्थान पर भी "आई" लिख सकते हैं"-  
मेरे ख़याल से कुछ जगह माँ को "आई" भी बोलते है | इस पर विद्वजन का मार्गदर्शन अपेक्षित है | 
रचना भाव पसंद करने हेतु हार्दिक आभार और उसपर टिप्पणी मे सुंदर दोहे रचने हेतु बधाई श्री रविकर भैया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"जिसको देखो वही अदावत मेंकौन खुश है भला सियासत में।१।*घिस गयी जूतियाँ थमीं साँसेंकेस जिसका गया…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सादर अभिवादन आदरणीय।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
5 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
12 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Wednesday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
Wednesday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service