For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारी प्रेरणा

आँखों में जो स्वप्न बसाये तूने,
अब उन्हें मुझे पूरा करना है।
माना बहुत दूर है किनारा मेरा,
पर उस तक मुझे पहुँचना है।  

कुछ भूल रहा था मेरा हृदय,
कुछ ध्यान भटक गया था।
थी घोर निराशा मुझे घेरे हुए,
जिसमें जीवन अटक गया था।
तुमने मुझे आगे बढ़ाकर कहा,
नहीं,अभी तुम्हें ऐसे रूकना है।
आँखों में जो स्वप्न बसाये तूने,
अब उन्हें मुझे पूरा करना है।

मेरे टूटे हुए विश्वास को जगाया,
तुमने आशा से प्रकाशित किया।
दूर कर मेरे हृदय की निराशा को,
तुमने मुझे नवीन संबल भी दिया।
देकर तुमने मुझे अपना साहाय्य,
बताया,अभी नहीं तुम्हें थकना है।
आँखों में जो स्वप्न बसाये तूने,
अब उन्हें मुझे पूरा करना है।
माना बहुत दूर है किनारा मेरा,
पर उस तक मुझे पहुँचना  है।
'सावित्री राठौर'

[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 9, 2014 at 10:03am

निश्चय ही आशावान रहें. 

आगे बढे. 

मंजिल पर जरूर पहुंचेंगे. 

सादर 

बधाई 

Comment by Savitri Rathore on January 18, 2014 at 7:45pm

आ० विजय जी सादर नमस्कार ! इस सराहना हेतु मैं हृदय से आपकी आभारी हूँ। जब आप जैसे वयोवृद्ध जन मेरी सृजनशीलता की प्रशंसा करते हैं,तो मुझे स्वयं पर गर्व के साथ ही अपनी लेखनी पर भी विश्वास बढ़ता जाता है। पुनः आभार !

Comment by Savitri Rathore on January 18, 2014 at 7:41pm

जीतेन्द्र जी,आपने सच कहा। कभी कभी एक छोटी सी प्रेरणा भी हमारे जीवन को बदल कर रख देती है।

Comment by Savitri Rathore on January 18, 2014 at 7:40pm

आ० शिज्जू जी,आपका धन्यवाद! आपका कथन बिलकुल सच है,वास्तव में मनुष्य स्वयं ही स्वयं को प्रेरित कर सकता है।

Comment by Savitri Rathore on January 18, 2014 at 7:37pm

आ० मीना जी,आपका धन्यवाद!

Comment by vijay nikore on January 18, 2014 at 1:19pm

अति सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति। हार्दिक बधाई, आदरणीया।

सादर,

विजय निकोर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 17, 2014 at 11:53pm

जीवन में कभी कोई  प्रेरणा  इन्सान को कहाँ से कहाँ तक पहुंचा देती है, बधाई आदरणीया सावित्री जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 17, 2014 at 7:56pm

आदरणीया सावित्री जी इंसान अगर चाहे तो खुद अपनी प्रेरणा बन सकता है, बहुत अच्छी रचना है बधाई आपको

Comment by Meena Pathak on January 17, 2014 at 7:46pm

आँखों में जो स्वप्न बसाये तूने,
अब उन्हें मुझे पूरा करना है। 
माना बहुत दूर है किनारा मेरा,
पर उस तक मुझे पहुँचना  है। ..............बहुत उम्दा .. 

Comment by Savitri Rathore on January 17, 2014 at 7:29pm

आदरणीय सरिता जी,आपका बहुत-बहुत आभार !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
11 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
11 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service