तुम विरह की पीड़ा हो,
या हो मिलन की मधुरता।
तुम प्रेम का उन्माद हो,
या हो हृदय की आकुलता।
तुम जीवन की गति हो,
या हो प्राणों का संचार।
तुम मात्र आकर्षण हो,
या हो मेरा पहला प्यार।
तुम मेरे जीवन की तपन हो,
या हो शीतल मंद बयार।
तुम इच्छाओं का सागर हो,
या प्रेम की उन्मुक्त फुहार।
हो तुम कहीं निशीथ तो नहीं,
या सचमुच 'सूर्य' मेरे जीवन के।
तुम सच में मेरी सम्पूर्णता हो,
या हो अपूर्ण स्वप्न मेरे मन के।
बताओ,तुम केवल क्षणिक हो,
या हो सदा से मेरे ही प्रिये।
आज ये मधुर -मिलन है,
क्या कल मात्र स्मृति के लिए?
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]
Comment
बताओ,तुम केवल क्षणिक हो,
या हो सदा से मेरे ही प्रिये।
आज ये मधुर -मिलन है,
क्या कल मात्र स्मृति के लिए?
अति सुन्दर
सादर बधाई
आदरणीय विजय जी,राम शिरोमणि जी,गिरिराज जी,राजेश जी,बृजेश जी,जितेन्द्र जी और डॉ. गोपाल नारायण जी आप सभी को मेरा नमस्कार! आप सब की अमूल्य प्रतिक्रियाओं हेतु मैं हृदय से आभारी हूँ। आशा है कि भविष्य में भी आप सभी लोग अपने बहुमूल्य सुझावों एवं प्रतिक्रियाओं के माध्यम से मुझे प्रेरित करते रहेंगे।आप सभी का धन्यवाद !
बहुत ही सुन्दर भाव पिरोय हैं, आपको बधाई।
सादर,
विजय निकोर
सुन्दर रचना आदरणीया .. हार्दिक बधाई आपको ।।।। सादर
आदरणीया , बहुत सुन्दर रचना , आपको दिली बधाई !!!!!
साथ चलते रहें, आपकी रचना अपने पथ की ओर अग्रसर हैं, सादर
प्रेम में विरह-वेदना को बहुत ही प्रबल भावपक्ष मिला है आपकी रचना में, अंतिम चार पंक्तियों में आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रश्न रखा है, बधाई स्वीकारें आदरणीया सावित्री जी
अच्छी रचना! आपको हार्दिक बधाई!
सावित्री जी
आपकी रचना का भाव पक्ष प्रबल है
यह आपके संवेदनशील होने का प्रमाण है i मेरी शुभकामनाये i
आदरणीय कुंती जी,आपको स्नेह भरा नमस्कार!
महादेवी जी से मेरी तुलना करने के लिए मैं आपकी हृदय से आभारी हूँ,किन्तु मैं जानती हूँ कि मैं इस योग्य नहीं,ये तो आपका स्नेह है,जो आपने मुझे उनके समकक्ष ला दिया,किन्तु ये सत्य है कि वह मेरी प्रिय कवयित्री हैं और उन्हें पढ़ना मुझे बहुत अच्छा लगता है.....मेरी दृष्टि में उनका विरह वर्णन तो हिंदी साहित्य में अनुपम है..... मैं उनकी काव्यकला और शब्द चयन से अभिभूत हूँ और कविता-लेखन में वह मेरी प्रेरणास्त्रोत हैं,उनके समान लेखन का प्रयास मैं अवश्य करती हूँ,पर यह भी सत्य है कि मैं कभी उनसे समानता नहीं कर सकती।मुझे यह जानकर बहुत हर्ष हो रहा है कि आज मेरी रचना ने आपको
महादेवी जी की याद दिला दी,आज अपने लेखन की सार्थकता पर और स्वयं पर मुझे गर्व हो रहा है। आशा है कि आप सभी निरंतर मेरा मार्गदर्शन कर मुझे और अच्छा लेखन करने को प्रेरित करेंगे।एक बार पुनः आभार।
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