For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारी प्रेरणा

आँखों में जो स्वप्न बसाये तूने,
अब उन्हें मुझे पूरा करना है।
माना बहुत दूर है किनारा मेरा,
पर उस तक मुझे पहुँचना है।  

कुछ भूल रहा था मेरा हृदय,
कुछ ध्यान भटक गया था।
थी घोर निराशा मुझे घेरे हुए,
जिसमें जीवन अटक गया था।
तुमने मुझे आगे बढ़ाकर कहा,
नहीं,अभी तुम्हें ऐसे रूकना है।
आँखों में जो स्वप्न बसाये तूने,
अब उन्हें मुझे पूरा करना है।

मेरे टूटे हुए विश्वास को जगाया,
तुमने आशा से प्रकाशित किया।
दूर कर मेरे हृदय की निराशा को,
तुमने मुझे नवीन संबल भी दिया।
देकर तुमने मुझे अपना साहाय्य,
बताया,अभी नहीं तुम्हें थकना है।
आँखों में जो स्वप्न बसाये तूने,
अब उन्हें मुझे पूरा करना है।
माना बहुत दूर है किनारा मेरा,
पर उस तक मुझे पहुँचना  है।
'सावित्री राठौर'

[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 807

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 9, 2014 at 10:03am

निश्चय ही आशावान रहें. 

आगे बढे. 

मंजिल पर जरूर पहुंचेंगे. 

सादर 

बधाई 

Comment by Savitri Rathore on January 18, 2014 at 7:45pm

आ० विजय जी सादर नमस्कार ! इस सराहना हेतु मैं हृदय से आपकी आभारी हूँ। जब आप जैसे वयोवृद्ध जन मेरी सृजनशीलता की प्रशंसा करते हैं,तो मुझे स्वयं पर गर्व के साथ ही अपनी लेखनी पर भी विश्वास बढ़ता जाता है। पुनः आभार !

Comment by Savitri Rathore on January 18, 2014 at 7:41pm

जीतेन्द्र जी,आपने सच कहा। कभी कभी एक छोटी सी प्रेरणा भी हमारे जीवन को बदल कर रख देती है।

Comment by Savitri Rathore on January 18, 2014 at 7:40pm

आ० शिज्जू जी,आपका धन्यवाद! आपका कथन बिलकुल सच है,वास्तव में मनुष्य स्वयं ही स्वयं को प्रेरित कर सकता है।

Comment by Savitri Rathore on January 18, 2014 at 7:37pm

आ० मीना जी,आपका धन्यवाद!

Comment by vijay nikore on January 18, 2014 at 1:19pm

अति सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति। हार्दिक बधाई, आदरणीया।

सादर,

विजय निकोर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 17, 2014 at 11:53pm

जीवन में कभी कोई  प्रेरणा  इन्सान को कहाँ से कहाँ तक पहुंचा देती है, बधाई आदरणीया सावित्री जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 17, 2014 at 7:56pm

आदरणीया सावित्री जी इंसान अगर चाहे तो खुद अपनी प्रेरणा बन सकता है, बहुत अच्छी रचना है बधाई आपको

Comment by Meena Pathak on January 17, 2014 at 7:46pm

आँखों में जो स्वप्न बसाये तूने,
अब उन्हें मुझे पूरा करना है। 
माना बहुत दूर है किनारा मेरा,
पर उस तक मुझे पहुँचना  है। ..............बहुत उम्दा .. 

Comment by Savitri Rathore on January 17, 2014 at 7:29pm

आदरणीय सरिता जी,आपका बहुत-बहुत आभार !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय समर  भाई , ग़ज़ल पर  उपस्थिति  और विस्तृत सलाह के लिए आपका आभार तक़ाबूल-ए-…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  बड़े  भाई , आपकी रचना चित्र को अच्छे से  चित्रित  कर रही है , अंतिम बंद…"
1 hour ago
Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ 'मन के कोने में…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ 'मन के कोने में…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service