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धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में (गीत).

धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
क्रांतिकारियों ने जो बलिदान है दिया 
निज देश पे हर बात को कुर्बान कर दिया 
हम छांव में खड़े थे वो चले थे धूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
बयानबाजियों से कभी हल नहीं कोई 
उंगली उठा के दूजे पे सफल नहीं कोई 
फर्क प्रजातंत्र  में न रंक ओ भूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
देश है तो राज और ये नीति  सब सही 
कुर्सियों से प्रेम दल से प्रीति सब सही 
बिन देश कौन रह सका है रंगो-रूप में 
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
 
अमन परस्ती की है  पहचान हमारी 
नानक कबीर बुद्ध सी है शान हमारी
शामिल है नाम अपना ऐसे अनूप में
धकेलिए न देश को यूँ अंध-कूप में
-----------------------------------------
अविनाश बागड़े....मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by AVINASH S BAGDE on January 24, 2014 at 2:06pm

जी ,आदरणीया डॉ प्राची जी शिल्प पे आगे से ध्यान रहेगा 

गीत की भावना  तक पहुचने का हार्दिक आभार 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2014 at 11:52am

आदरणीय अविनाश बागडे जी 

बहुत सुन्दर यथार्थ तथ्य को शब्दबद्ध किया है.. हार्दिक बधाई 

बयानबाजियों से कभी हल नहीं कोई 
उंगली उठा के दूजे पे सफल नहीं कोई ..बिलकुल सही 
शिल्प के स्तर पर प्रस्तुति अभी और समय चाहती है.. आप पंक्तियों को सामान मात्रिकता पर रखते तो गीत और ज्यादा अच्छा लगता. यहाँ मात्रिकता कहीं २१-कहीं २२-तो कहीं २४ हो रही है.
सादर शुभकामनाएं 
Comment by AVINASH S BAGDE on January 21, 2014 at 11:29pm

bhai Arun Srivastava ji...आभार ....!

Comment by AVINASH S BAGDE on January 21, 2014 at 11:28pm
Comment by AVINASH S BAGDE on January 21, 2014 at 11:27pm

बहुत बहुत आभार ....
शुक्रिया आपकी इन भावनाओं कायोगराज प्रभाकर जी

Comment by AVINASH S BAGDE on January 21, 2014 at 11:25pm


बहुत बहुत शुक्रिया कल्पना रामानी mam.

Comment by AVINASH S BAGDE on January 21, 2014 at 11:24pm

अरुन शर्मा 'अनन्त' 


बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by AVINASH S BAGDE on January 21, 2014 at 11:23pm
Comment by AVINASH S BAGDE on January 21, 2014 at 11:22pm

माहेश्वरी कनेरी जी बहुत बहुत आभार 

Comment by AVINASH S BAGDE on January 21, 2014 at 11:21pm

आदरणीय नादिर खान साहब दिलीतौर  पे शुक्रगुज़ार हूँ आपके इन अल्फ़ाज़ों का 

कृपया ध्यान दे...

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