For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मस्तों के कलन्दर भोले पिया' (जान’ गोरखपुरी)

२१२२   २१२२   २१२२   २१२२    २२१२

तेरी महफ़िल के दिवाने को सनम और कोई महफ़िल भाती नही
तू जिसे जलवा दिखा दे,उसको अपनी याद भी फिर आती नही
***
तेरी मस्ती में मै हूँ सरमस्त,मस्तों के कलन्दर भोले पिया
तेरी मूरत यूँ छपी दिल में के,सूरत कोई दिल छू पाती नही
***
यूँ जिया में है भरी झंकार के,धड़कन मेरी पायल बन गयीं
मन थिरकता वरना क्यूँ ऐसे,मिलन के गीत सांसें गाती नही
****
आफताबो-माहताबो-कहकशां रौशन हैं तेरे ही नूर से
इश्क़ बिन तेरे,न टरता कण भी,दुनिया क्षण को भी चल पाती नही
***
वारि-वारी जाऊ तेरे रंगरेजा, ओ-मुसव्विर-ए-कायनात
कोई शय ऐसी नही जिसमें, तेरी जादूगरी भरमाती नही

*******************************************
मौलिक व् अप्रकाशित (c) ‘जान’ गोरखपुरी
*******************************************

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 18, 2015 at 8:48pm

आ० प्रतिभा जी मुक्त हृदय से प्रसंशा कर उत्साहवर्धन करने के लिए शुक्रिया!आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 18, 2015 at 8:47pm

आदरणीय Dr. Vijai Shanker सर बहुत बहुत आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 18, 2015 at 8:46pm

आदरणीय समर कबीर सर!आपकी सराहना ने रचना को जो मान दिया है! उसका मै दिली शुक्रगुजार हूँ! हार्दिक आभार!

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 16, 2015 at 4:55pm
सुन्दर एवं सराहनीय प्रयास , प्रिय कृष्ण मिश्रा जी, बधाई, सादर।
Comment by Samar kabeer on April 16, 2015 at 2:44pm
जनाब "जान" गोरखपुरी साहिब ,आदाब,अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 16, 2015 at 2:27pm

आ० गिरिराज सर! रचना पर आपकी इस प्रतिक्रिया से मन गदगद हो गया,दिन बन गया आज का....गुरुवर आपके मार्गदर्शन के अनुसार ही और अधिक समय और संयम से रचनाकर्म में रत हुआ हूँ,उसी आशीर्वाद का परिणाम है ये रचना!अभिनन्दन आदरणीय!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 16, 2015 at 2:15pm

इस गज़ल को क़व्वाली गायनशैली  में लिखने का प्रयास किया है,गुरुजनों से मार्गदर्शन निवेदित है!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 16, 2015 at 2:15pm

आदरणीय कृष्णा भाई , लाज्वाब रूहानी गज़ल के लिये आपको दिली बधाइयाँ ॥

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 16, 2015 at 2:12pm

आदरणीय गोपाल सर! गुरुवर मेरा प्रयास आपको सार्थक लगा जानकर मन हर्षित हुआ!आभार आदरणीय!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 16, 2015 at 2:09pm

आ० shyam narain जी रचना आपको पसंद आई!लेखन सार्थक हुआ,हृदयतल से आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service