2122 1212 22
आँख में भरके आब बैठा है।
खिड़की पे माहताब बैठा है।
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रातभर वाट्सऐप पे है लड़ा
नोजपिन पे इताब बैठा है।
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सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हों गोया
पलकों को ऐसे दाब बैठा है।
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यूँ ग़ुलाबी सी शॉल है ओढ़े
जैसे कोई गुलाब बैठा है।
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धूप में खिल रही हैं पंखुरियाँ
खुश्बू में लिपटा ख़्वाब बैठा है।
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सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'
और वो लेके किताब बैठा…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 15, 2021 at 10:32pm — 16 Comments
22 22 22 22 22 22 22
तुझसे मिलकर हम जो रो लेते तो अच्छा होता..
जख्मी दिल को नमक से धो लेते तो अच्छा होता।
हम अपने सर को रखकर कुछ पल तेरे दामन में..
कतरा कतरा आँसू बो लेते तो अच्छा होता।
सहरा सहरा दरिया दरिया पर्वत पर्वत वन वन..
पल भर खुद को खुद से खो लेते तो अच्छा होता।
हर पल है जब आंखों में तेरे सपनों का जगना.
कोई दिन हम तुझमें सो लेते तो अच्छा होता।
जब अपनों के हो न सके,तेरा होना हो न सका …
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 12, 2021 at 8:00am — 4 Comments
22/22/22/22/22/22
जब मैं सोलह का था, और तुम तेरह की थी
मैं भी भोला सा था, तुम भी मीरा सी थी।
दिल तब बच्चा सा था, आलम अच्छा सा था..
बातें सच्ची सी थीं, आँख वो वीणा सी थी।
शामें खुशबू सी थीं, रातें जादू सी थीं..
दुनिया दिलकश सी थी, मोहब्बत पहली थी।
बारिश प्यारी सी थी, पतझड़ क्यारी सा था..
गर्मी शीतल सी थी, सर्दी आँचल सी थी ।
दुपहर साया सा था, तुमको पाया सा था..
दिल के द्वारे पे धक-धक दस्तक तेरी…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2021 at 11:00pm — 6 Comments
22 22 22 22
इश्क मुहब्बत चाहत उल्फत
रश्क मुसीबत रंज कयामत।
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किसको क्या होना है हासिल
कोई न जाने अपनी किस्मत।
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क्यूँ मैं छोडूं यार तेरा दर
हक है मेरा करना इबादत।
**
देख ली हमने सारी दुनिया
तुझसी न भायी कोई सूरत।
**
जोर आजमा ले तू भी पूरा..
देखूँ इश्क़ मुझे या वहशत?
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'जान' ये दिन भी कट जायेंगे
देखी है जब उनकी नफरत।
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तेरे ही दम से सारे भरम हैं
वर्ना क्या दोज़ख़ क्या…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2021 at 5:00pm — 11 Comments
नेह के आंसू को सरजू कहता हूँ
अपनेपन से तुझको मैं तू कहता हूं।
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रात छत पे जब निकल आता है तू
इन सितारों को मैं जुगनू कहता हूँ। **
ये जो तन से मेरे आती है महक़..
मैं इसे भी तेरी खुशबू कहता हूँ।
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ये अदब,शोख़ी, नज़ाकत, लहज़े में..
मैं इसी लहज़े को उर्दू कहता हूँ।
**
सब थकन मेरी पी जाती है ये धूप
मैं सदा को तेरी…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 19, 2021 at 7:00pm — 26 Comments
2122 1212 22 (112)
मुझको तू गर मिला नहीं होता
इश्क़ है क्या पता नहीं होता।
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एक पल को जुदा नहीं होता.
ग़म तेरा बेवफ़ा नहीं होता।
**
रोज इक ख़त मैं लिखता हूँ तुझको
और तेरा 'पता' नहीं होता।
**
दो जहाँ हमने एक कर डाले
दर्द बढ़कर दवा नहीं होता।
**
इश्क़ है गर तो सोचता है क्या?
इश्क़ होता है या नहीं होता।
…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 15, 2021 at 3:00pm — 9 Comments
2122 1122 2(11)2
ये अलग बात है इनकार मुझे
तेरे साये से भी है प्यार मुझे।
**
सामने सबके बयाँ करता नहीं
रोज दिल कहता है, सौ बार मुझे।
**
लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं बिक जाऊं अगर
तू खरीदे सरे बाजार मुझे।
**
था हर इक दिन कभी त्यौहार की तर्ह
भूल अब जाता है इतवार मुझे।
**
चाहकर मैं तुझे, मुजरिम हूँ तेरा
क्यूँ नहीं करता गिरफ़्तार मुझे
…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 6, 2021 at 11:30pm — 10 Comments
22 22 22 22
कैसा अक्कड़ बक्कड़ है दिल..
पा के तुझको अक्खड़ है दिल..
सपने देखे, ऐसे वैसे..
रब्बा जाने कैसे कैसे..
उड़ता फिरे ये बैठे बैठे..
चाहे मिलना जैसे तैसे..
फिरते फ़क़ीर सा फक्कड़ है दिल।
उठते ही जालिम ये सबेरे..
हाथ पैर ये जोड़े मेरे..
चल कर आयें, घर के फेरे..
चिपका गली से, जैसे तेरे..
मोहल्ले का, नुक्कड़ है दिल।
चाहे, तुझसे बातें ये…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 24, 2021 at 6:00pm — 4 Comments
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 17, 2016 at 12:42pm — 14 Comments
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 15, 2016 at 9:57pm — 8 Comments
१२२ १२२ १२२ १२२
किसी मायने में भी कमतर नही हूँ
मगर पूजा जाऊं वो पत्थर नहीं हूँ
इसी को तो कहते है किस्मत भी शायद
तेरा हो के तेरा मुकद्दर नहीं हूँ
मेरी साइतों में ‘‘ठहरना’’ नही है..
मैं दरिया हूँ प्यासा ; समन्दर नहीं हूँ
पलटकर जरा देख इक़ बार फिर से
यही सोच लूँ गुजरा मंजर नहीं हूँ.
तेरे कू पे बैठा अगरचे हूँ लेकिन
जो कुछ मांगे मैं वो कलंदर नहीं…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on December 14, 2015 at 11:04am — 6 Comments
122 122 122 122
अजब इक तमाशा है ये ज़िन्दगी भी।
बिछड़ना है सबकुछ मगर दिल्लगी भी।।
बहुत बेमुरव्वत है तासीर दिल की।
मिली जितनी उतनी बढ़ी तिश्नगी भी।।
जमीं हो या आँखें...ख़ुशी हो या हो गम।
है अच्छी नही देर तक खुश्कगी* भी।। (सूखापन)
कहानी मुहब्बत की है तो पुरानी।
नयी सी मगर इसमें है ताजगी भी।।
न समझा कोई हुस्नो-इश्को-वफ़ा पर।
हरिक को है पर इनसे बावस्तगी* भी।। (सम्बद्धता)
ये माना कि बरबादियाँ भी बहुत की।…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on November 19, 2015 at 1:30pm — 6 Comments
१२२ /१२२ /१२२ /१२२
उजाले बहाये धधक करके रोये
फ़लक पे सितारे चमक करके रोये।
कोई चाँदनी बेवफ़ा तो थी वर्ना
क्यूँ सीना जलाये दहक करके रोये।
नमक इश्क का पी बहुत थीं ये आँखें
अदा अब ये सारे नमक करके रोये।
जो गम हम मिटाने चले जाम उठाने
तो पैमाँ भराये छलक करके रोये।
तेरी खुश्बुओं से घर आँगन भराया
शजर फूल सारे महक करके रोये।
सलामत रहे तू दुआ है हमारी
ये सुन गम…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 7, 2015 at 9:24am — 11 Comments
११२१२ / ११२१२ / ११२१२ / ११२१२
आ के फ़िर से खूने जिगर तू कर, दिलो-जान तुझपे फ़िदा करूँ
कोई कैनवास नया दे, रंगे-वफ़ा मैं फ़िर से भरा करूँ
.
तेरी आँख को कभी झील तो कभी आसमां कहूँ और शाम
उसी खिडकी पर मै पलक बिछा, अपलक क़ुरान पढ़ा करूँ
.
नहीं चाँदनी है नसीब मेरा तो ख़्वाब रख के सिराहने
तेरी स्याह गेसुओं में छुपे हुए, जुगनुओं को गिना करूँ
.
तेरी बज्म के हैं जो क़ायदे, न कभी कुबूल रहे मुझे
मुझे तिश्नगी…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 2, 2015 at 10:31am — 12 Comments
22/22/22/22/22
तुमौर मै हमारी छोटी सी दुनिया
सागर से बारिश बारिश से नदिया
.
मीठी होती है मेहनत की रोटी
मैंने देखी है माँ दरते चकिया
.
ए.सी कूलर ने छीनी आबो-हवा
याद आती है नीम-छांव की खटिया
.
पक्की छत में जगह उसी को न मिली
सदियों रहा जो बन छप्पर की थुनिया
.
याद मुझे पुरनम बस तू है आती
मन महकाये जब बौंराई अमिया
.
दिल का सौदा क्या खाक वो करेगा?
नुकसान-नफ़ा सोचे तबीयते…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 24, 2015 at 8:50am — 8 Comments
2212 2212 22
क्या ख़ूब आफ़त पाल बैठा हूँ
दिल में शराफ़त पाल बैठा हूँ
.
मुफ़्त इक मुसीबत पाल बैठा हूँ
बुत की मुहब्बत पाल बैठा हूँ
.
क्यूँ ये सितारे हैं ख़फ़ा मुझसे?
जो तेरी चाहत पाल बैठा हूँ
.
वो बेवफा कहने लगा मुझको
जबसे मुरव्वत पाल बैठा हूँ
.
कोई तो तुम अब फ़ैसला दे दो
पत्थर की सूरत पाल बैठा हूँ
.
गर तू तगाफुल पे अड़ा है
सुन मैं भी वहशत पाल बैठा हूँ
.
वारे…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 15, 2015 at 8:30am — 19 Comments
२१२ / २१२ / २१२
इश्क के बाद है क्या मिला?
वाँ भी था याँ भी पर्दा मिला
.
अब सनम जबकि तुम खो गये
ख़ुद से मिलने का मौक़ा मिला
.
उनके वादों का हासिल है क्या?
हाथ वादों के वादा मिला
.
हमने दुनिया बहुत देखी पर
कोई मुझको न तुमसा मिला
.
लाख़ कोशिश की हमने मगर
दिल से दिल का न सौदा मिला
.
जब खुला ख़त मेरे वास्ते
नाम हर शय में उसका मिला
.
बेतकल्लुफ़ न इतना हो…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on August 3, 2015 at 9:00am — 16 Comments
२१२ २१२२ २१२२
आग पर आप भी इक दिन चलेंगे
मेरे अहसास जब तुम में उगेंगे
.
फूल सा तन महकने ये लगेगा
याद में रातदिन जब दिल जलेंगें
.
चाँद सा रूप निखरेगा सुनहरा
इश्क की धूप में गर जो तपेंगें
.
आइना बातें भी करने लगेगा
यूँ घड़ी दो घड़ी पे गर सजेंगे
.
रातभर रतजगे आँखें करेंगी
सुबहों-शाम आप भी रस्ता…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 31, 2015 at 7:48pm — 6 Comments
२२१२ २२१२ २२
फ़रियाद ये मेरी सुनो कोई
दो इश्क में मुझको डबो कोई
..
सात आसमां पार उनका गर है शह्र
कू-ए-सनम ही ले चलो कोई
..
है दोजखो जन्नत मुहब्बत में
आशिक हो पर शायर न हो कोई
..
जाने गज़ल तुम मुझको दो थपकी
बरसों न पाया मुझमें सो कोई
..
‘जान’ आखिरी वख्त अपना जाने कौन?
लो प्रीत के मनके पिरो कोई
.
जीने की ख्वाहिश फिर न जाग उट्ठे
मरता हूँ नाम उस का न लो…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 12, 2015 at 9:30am — 11 Comments
२१२२ २२१२ २१२२ २२
अब जो जायेंगे उस गली तो सबा छेड़ेगी
वारे उल्फ़त! मुझको मेरी ही वफ़ा छेड़ेगी
..
जिसको आँखों में भरके फिरते थे हम इतराते
हाय जालिम तेरी कसम वो अदा छेड़ेगी
..
जो गुजरते हर एक दर पे थी हमने मांगी
राह में मिलके मुझसे वो हर दुआ छेड़ेगी
..
वो जो बातें ख्यालों की ही रह गई बस होकर
बेसबब बेवख्त आ मुद्दा बारहा छेड़ेगी
..
सुनते ही जिसको तुम चले आते थे दौड़े
हाँ…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 1, 2015 at 6:00pm — 25 Comments
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