For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१२२  १२२ १२२  १२२

किसी मायने में भी कमतर नही हूँ                         

मगर पूजा जाऊं वो पत्थर नहीं हूँ

 

इसी को तो कहते है किस्मत भी शायद

तेरा हो के तेरा मुकद्दर नहीं हूँ

 

मेरी साइतों में ‘‘ठहरना’’ नही है..

मैं दरिया हूँ प्यासा ; समन्दर नहीं हूँ

 

पलटकर जरा देख इक़ बार फिर से

यही सोच लूँ गुजरा मंजर नहीं हूँ.

 

तेरे कू पे बैठा अगरचे हूँ लेकिन

जो कुछ मांगे मैं वो कलंदर नहीं हूँ

 

मुझे ढूंढ़ता तू कहाँ है रे बन्दे?

मैं बाहर नहीं हूँ कि अन्दर नहीं हूँ?

मैलिक व् अप्रकाशित 

©जान गोरखपुरी

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on December 16, 2015 at 6:56pm
सादर आभार आ.विजय निकोर सर,नवाजिश है आपकी।
Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 1:34pm

आपकी गज़ल अच्छी लगी, हार्दिक बधाई, आदरणीय जान गोरखपुरी जी।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on December 15, 2015 at 2:00pm
बेहद शुक्रिया आ.मिथिलेश सर नवाजिश है आपकी।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on December 15, 2015 at 1:59pm
ज़र्रानवाज़ी के लिए बेहद शुक्रिया आ.समर सर.जी सर कोशिश करूँगा आगे से और सक्रिय रहूँ ओबीओ पर।सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 15, 2015 at 12:35am

आदरणीय कृष्ण भाई जी , शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. 

Comment by Samar kabeer on December 14, 2015 at 10:36pm
जनाब "जान" गोरखपुरी जी,आदाब,बहुत दिनों बाद आपको ओबीओ पर देखकर ख़ुशी हुई,बहुत ही अच्छी और शानदार ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल में रदीफ़, काफ़िया और बह्र की दृष्टि से प्रयास सधा हुआ है। इसे प्रशंसनीय अभ्यास माना जा…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर , अभिवादन आदरणीय।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"नफ़रतों की आँधियों में प्यार भी करते रहे।शांति का हर ओर से आधार भी करते रहे।१। *दुश्मनों के काल को…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जय-जय"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. रचना जी "
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service