For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: खिड़की पे माहताब बैठा है।

2122 1212 22

आँख में भरके आब बैठा है।
खिड़की पे माहताब बैठा है।

**

रातभर वाट्सऐप पे है लड़ा
नोजपिन पे इताब बैठा है।

**

सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हों गोया
पलकों को ऐसे दाब बैठा है।

**

यूँ ग़ुलाबी सी शॉल है ओढ़े
जैसे कोई गुलाब बैठा है।

**

धूप में खिल रही हैं पंखुरियाँ
खुश्बू में लिपटा ख़्वाब बैठा है।

**

सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'
और वो लेके किताब बैठा है।

*************************

मौलिक व अप्रकाशित

*************************

Views: 1294

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 19, 2021 at 9:35pm

आ. अमीरुद्दीन सर बहुत शुक्रिया हौसलाफजाई के लिये। इन दिनों विभागीय ट्रेनिंग में व्यस्तता में समय नहीं दे पा रहा हूँ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 16, 2021 at 10:09am

जनाब कृष मिश्रा गोरखपुरी जी आदाब, शानदार इस्लाह के साथ बहतरीन ग़ज़ल ख़ल्क़ हुई है, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।  सादर।

Comment by Samar kabeer on March 11, 2021 at 5:57pm

मोबाइल स्विच ऑफ़ हो तो समझ लेना मैं नमाज़ में हूँ, दस मिनट बाद चालू हो जाएगा ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 11, 2021 at 4:55pm

अरे नहीं सर, दिल तो मैंने आपका दुखाया है। खाली होकर जल्द ही आपको फ़ोन करूँगा सर। न. देने के लिए पुनः धन्यवाद।

Comment by Samar kabeer on March 11, 2021 at 4:48pm

आप जानते हैं मुझे लिखने पढ़ने में कितनी परेशानी उठानी पड़ती है, आपका दिल दुखाया इसके लिये क्षमा चाहता हूँ, बाक़ी बातें फ़ोन पर कर लें ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 11, 2021 at 4:44pm

आ. समर सर आपके ऐसे हृदय तोड़ने वाले कमेंट की मैंने उम्मीद नहीं कि थी। मैंने केवल आपने जो पूछा था उसका उत्तर दिया है यदि आप समझा के कहते कि--- नहीं ऐसा प्रयोग गलत है तो उसे दुरुस्त कर देता। सच कहूं तो OBO पर इन दिनों मैं केवल आपके लिए ही आता हूँ , अब पहले की तरह अन्य वरिष्ठ सदस्य सक्रिय दिखाई नहीं देते। आ. गिरिराज, वीनस केसरी सर, सौरभ सर आदि गणमान्य जन को obo पर देखे काफ़ी समय हो गया।ऐसे में यदि आपके मार्गदर्शन और स्नेह से वंचित हुआ तो obo पर आने के लिए मेरे पास कोई औचित्य नहीं बचेगा।

Comment by Samar kabeer on March 9, 2021 at 4:39pm

//आम बोलचाल की भाषा के कारण आ. समर सर जिस प्रकार तर्ह को तरह, शह्र शहर आम बोली में चलन है उसी तरह सुब्ह से अधिक चलन में सुबह का प्रयोग है सो ऐसा किया।//

भाई, क्षमा करें, आपकी इस्लाह करना मेरे लिये सम्भव नहीं, अब मैं आपकी ग़ज़लों पर बधाई देकर निकल जाया करूँगा ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 9, 2021 at 4:20pm

आ. लक्ष्मण भैया ग़ज़ल पर आमद और हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया।आपकी इस्लाह बेहतरीन है इस ओर मैंने सोचा नहीं था।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 9, 2021 at 4:18pm

 //  सुबह को मैंने जान बूझकर 12 को वज्न पर रक्खा है//

ऐसा क्यों ?

आम बोलचाल की भाषा के कारण आ. समर सर जिस प्रकार तर्ह को तरह, शह्र शहर आम बोली में चलन है उसी तरह सुब्ह से अधिक चलन में सुबह का प्रयोग है सो ऐसा किया।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2021 at 1:48pm

आ. भाई क्रिस मिश्रा जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

सुबह को सहर लिखकर समस्या का हल कर सकते हो । सादर..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service