For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

११२१२ / ११२१२ / ११२१२ / ११२१२

आ के फ़िर से खूने जिगर तू कर, दिलो-जान तुझपे फ़िदा करूँ
कोई कैनवास नया दे, रंगे-वफ़ा मैं फ़िर से भरा करूँ

.

तेरी आँख को कभी झील तो कभी आसमां कहूँ और शाम
उसी खिडकी पर मै पलक बिछा, अपलक क़ुरान पढ़ा करूँ

.

नहीं चाँदनी है नसीब मेरा तो ख़्वाब रख के सिराहने
तेरी स्याह गेसुओं में छुपे हुए, जुगनुओं को गिना करूँ

.

तेरी बज्म के हैं जो क़ायदे, न कभी कुबूल रहे मुझे
मुझे तिश्नगी मिली बेहिसाब, हिसाब में क्यूँ पिया करूँ?

.

न शबाब है न शराब है,लत-ए-बेख़ुदी तो खराब है
ये गिलास भर दे मेरे ख़ुदा,मै बिन उसके होश का क्या करूँ

.

न विसाले-य़ार मुझे,तलाशे-खुदा भी तो नही ‘जान’ अब
ये फरेब ख़ुद को दूँ और तुझको मैं भूलने की दुआ करूँ

*****************************************
मौलिक व् अप्रकाशित © ‘जान’ गोरखपुरी
*****************************************

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 5, 2015 at 10:20pm

सादर आभार आ० विजय सर!गज़ल पर आपकी उपस्थिति पाकर अभिभूत हुआ!नमन!

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 5, 2015 at 10:11pm
आ के फ़िर से खूने जिगर तू कर, दिलो-जान तुझपे फ़िदा करूँ
कोई कैनवास नया दे, रंगे-वफ़ा मैं फ़िर से भरा करूँ
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल , प्रिय कृष्ण मिश्र जी , बधाई , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 5, 2015 at 10:02pm

गजल पर आपके इस स्नेह के लिए बहुत आभारी हूँ आ० सुशील सरना जी!

सादर.

Comment by Sushil Sarna on October 5, 2015 at 7:32pm

नहीं चाँदनी है नसीब मेरा तो ख़्वाब रख के सिराहने
तेरी स्याह गेसुओं में छुपे हुए, जुगनुओं को गिना करूँ

गज़ब गज़ब गज़ब … इन रेशमी अहसासों से लबरेज़ ग़ज़ल के लिए दिल से शेर दर शेर दाद कबूल फरमाएं आदरणीय।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 5, 2015 at 6:22pm
आ.गोपाल सर गजल पर आपकी भरपूर प्रतिक्रिया पाकर नवऊर्जा का संचार हुआ।सादर नमन।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 5, 2015 at 8:57am

प्रिय कृष्णा -बहुत बढ़िया  शानदार -जानदार ,

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 4, 2015 at 8:55am
उत्साहवर्धन के लिए आपका शुक्रिया आ.रूपेंद्र जी।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 4, 2015 at 8:53am
आ गिरिराज सर आपका अनुमोदन पाकर बहुत राहत हुयी,इस बह्र में शिकस्ते-नारवा पर मार्गदर्शन चाहता हूँ.सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 4, 2015 at 8:46am
गजल पर आपकी मुक्त कंठ से प्रसंशा पाकर बहुत उत्साहित हूँ।आ.आशुतोष सर सादर आभार।स्नेह बना रहे।
Comment by Dr.Rupendra Kumar Kavi on October 3, 2015 at 5:12pm

kya bat

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service