२ १ २ २
इश्क क्या है?
इक दुआ है
दिल इबादत
कर रहा है
अपना अपना
कायदा है
पत्थरों में
भी खुदा है
कौन किसका
हो सका है
नाम की ही
सब वफा है
बस मुहब्बत
आसरा है
बिन पिये दिल
झूमता है
आँख उसकी
मैकदा है
फूल कोई
खिल रहा है
कातिलाना
हर अदा है
क्या हुआ गर
बेवफा है
जहर भी तो
इक़ दवा है
अब मुकम्मल
फैसला है
तुम हो और ना
दूसरा है
बस गज़ल अब
हमनवा है
मै रदिफ वो
काफिया है
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मौलिक व् अप्रकाशित (c) ‘जान’ गोरखपुरी
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Comment
उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया,जी सभी आ० जनों के मार्गदर्शन के अनुसार सुधार करने कि कोशिश की है!
छोटी से छोटी बह्र को बखूबी निभा गए आप कृष्ण जी ,
पत्थरों में
भी खुदा है---बहुत खूब
कौन किसका
हो सका है---वाह्ह्ह्ह
सभी शेर शानदार हुए ,बस दो में संशय है जिनकी और पहले से ही इशारा किया जा चूका उसका निवारण भी कर लेंगे आप मुझे विश्वास है |बहुत बहुत बधाई
आज लाइटर मूड में था सर! इसलिये वाक्यों पर विशेष ध्यान नही दिया>>//अभी छोटा ही निभ जाए वही बहुत है! आ० आशीर्वाद ऐसे ही बनाये रखिये.आप की कृपा से छोटे स्वमेव ही बड़ा हो जायेगा!?//
आशय बस इतना था कि '' गुरु का सतत आशीर्वाद व् मार्गदर्शन रुपी कृपा बनी रहे तो मूढ़ व्यक्ति भी ज्ञानी बन जाता है'' !!
आ० मंच की परम्परा के अनुसार सभी एक दुसरे से सीख़ रहे है,पर मंच पर मौजूद आप जैसे वरिष्ठ सदस्य,आ० गोपाल सर,आ० गिरिराज सर,आ० rajesh kumari जी,आ० बागी सर आ० योगराज सर आदि के लिए श्रद्धाभाव से मन के उद्गार स्वरूप शब्द स्वतः फूट पड़ते है!! जो कि आप सभी के निःस्वार्थ भाव से विद्यादान,मार्गदर्शन और साहित्यसाधना के कारण है!
आ० मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूँ के पहले मुझे खोजबीन करके और तथ्यों के आधार पर अपनी बात रखनी चाहिए थी न कि अपने भ्रम को अनुमोदित करना चाहिए था!((पर इससे हटकर केवल लघु का प्रयोग भी देखने को भी मिलता है!)) मेरा सौभाग्य है कि मंच की नजर मुझ पर है,और यही प्रार्थना भी है कि आप सब का अमूल्य मार्गदर्शन सदाव बना रहें!
नाम के साथ ये गुरुवर क्या ठोंक देते हैं जी ?
यदि जानकारी के लिए ख़ोज़बीन में लगे हैं तो अच्छी बात है. फिर ख़ोज़बीन ढंग से कर लीजिये. अगर इस विन्दु से उलट बात मिलेगी जो किसी के द्वारा निभायी गयी अपवाद नहीं होगी तो आकर साझा कर लीजियेगा. अच्छा भी लगेगा. ये क्या कि भारी भरकम विशेषण और संज्ञा थोपते चलिये और कहे पर शुबहा भी पाले रहिये ! .. है न ?
जी गुरुवर मैंने स्वयं माना है आ० केवल जी की बात सही है,आज इस संबंध में ही खोजबीन में लगा हूँ..
हा हा हा! आ० मनन जी बहुत बहुत शुक्रिया!आभार!
केवलभाईजी की बात सही है. भाई, उसको सुनिये.. ऐसे में अन्यथा बतकही अच्छी बात नहीं है. सीखने के क्रम में यह बहुत बडी बाधा हुआ करती है.
//अभी छोटा ही निभ जाए वही बहुत है! आ० आशीर्वाद ऐसे ही बनाये रखिये.आप की कृपा से छोटे स्वमेव ही बड़ा हो जायेगा! //
तब आप निभा चुके..
भाईजी, मंच आपको बड़ा मान्यूटली ऑब्जर्व कर रहा है.
आ० गुरुवर सौरभ सर छोटा को निभाने में ही सब करम हुए जा रहे है !:-):-) अभी छोटा ही निभ जाए वही बहुत है!
आ० आशीर्वाद ऐसे ही बनाये रखिये.आप की कृपा से छोटे स्वमेव ही बड़ा हो जायेगा!
आभार आदरणीय!जितेन्द्र सर ज़ी! सादर
बहुत बहुत शुक्रिया आ० केवल प्रसाद जी,आपकी बात के बाबत मुझे जो जानकारी, आपकी बात सही है अक्सर शब्द जुड़े रहते है अतरिक्त लघु में पर,पर इससे हटकर केवल लघु का प्रयोग भी देखने को भी मिलता है!
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