For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''हंगाम फितरत पाल बैठा हूँ''

2212  2212   22

क्या ख़ूब आफ़त पाल बैठा हूँ

दिल में शराफ़त पाल बैठा हूँ

.

मुफ़्त इक मुसीबत पाल बैठा हूँ

बुत की मुहब्बत पाल बैठा हूँ

.

क्यूँ ये सितारे हैं ख़फ़ा मुझसे?

जो तेरी चाहत पाल बैठा हूँ

.

वो बेवफा कहने लगा मुझको

जबसे मुरव्वत पाल बैठा हूँ

.

कोई तो तुम अब फ़ैसला दे दो

पत्थर की सूरत पाल बैठा हूँ

.

गर तू तगाफुल पे अड़ा है

सुन मैं भी वहशत पाल बैठा हूँ

.

वारे तमन्ना-ए-वफ़ा-ए-य़ार

ख़ुद से बग़ावत पाल बैठा हूँ

.

दीवानगी है गो ख़ुराके इश्क़

हंगाम फितरत पाल बैठा हूँ

*****************************************

मौलिक व् अप्रकाशित © ‘जान’ गोरखपुरी

*****************************************

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 18, 2015 at 9:33am

आ० दीदी राजेश कुमारी जी..तहेदिल से शुक्रिया गज़ल पर सकारात्मक प्रतिकिया और मार्गदर्शन के लिए!.....आ० मतला पर शुरुआत में ही मैंने बहुत विचार किया था ...इस सन्दर्भ में आ० गिरिराज सर की गज़ल ''ये मेरा असर है'' और उस पर हुयी चर्चा ने मार्गदर्शन का काम किया! और मेरी ये गजल संभव हो सकी!

शिज्जू सर ने जिहाफ़ पर जो बात ध्यान दिलाई है उस आधार पर निश्चित ही गज़ल में संशोधन करना पड़ेगा ..आगे से बहर की संभावनाओ पर गुनीजनों से मशवरा लेने के बाद ही इस तरह की गजल पर आगे बढूँगा! सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 17, 2015 at 9:32pm

कृष्णा भैया मतला बहुत बढ़िया है पर भैया काफिया तो आफत पर टिक गया जरा गौर करें 

बाकी शेर तो सभी शानदार हैं शिज्जू भैया की बात भी सही है बहरहाल बधाई तो बनती है सुन्दर प्रयास हुआ कुछ संशोधन उपरान्त ग़ज़ल निखर उठेगी 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 17, 2015 at 12:47pm
आ० गिरिराज सर गज़ल पर आप से दाद पाकर राहत हुयी,सादर अभिनन्दन!
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 17, 2015 at 12:43pm
आ० श्री सुनील जी हौसलाफजाई के लिए सादर आभार!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2015 at 7:39am

आदरणीय कृष्णा भाई , बढिया मतला के साथ बहुत अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाई आपको

Comment by shree suneel on September 16, 2015 at 8:18pm
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी. बधाइयाँ आपको.
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 4:34pm

आ० मुकेश जी सादर आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 4:33pm

तहेदिल से शुक्रिया आ० मिथिलेश सर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 4:31pm

आ० गोपाल सर,हार्दिक आभार व् नमन! सादर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 4:29pm

हार्दिक आभार आ० विजय सर!सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
1 hour ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service