२२२ /२२२ /२२२
हाँ ये हसीन काम हमने ही किया
खुद को तो तमाम हमने ही किया
आगाजे-बरबादी तेरा करम
अंजाम इंसराम हमने ही किया (अंजाम इंसराम=अंजामिंसराम ) इंसराम = व्यवस्था
हुस्न पे तू सनम न कर यूँ गुमान
जहाँ में तेरा नाम हमने ही किया
रोज ये कहना कि न आयेंगे पर
कू पे तेरी शाम हमने ही किया
हर सुबह न मुँह को लगायेंगे कभी
और शाम-इंतजाम हमने ही किया (शाम इंतजाम=शामिंतजाम)
कौन गुजरता वरना ’जान’ यां से
इन मिसाल को गाम हमने ही किया
किसकी थी मजाल तंज जो करता
खुद को ‘जान’ निलाम हमने ही किया
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मौलिक व् अप्रकाशित (c) जान गोरखपुरी
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Comment
आदरणीय इंतज़ार सरजी हार्दिक आभार!
आदरणीय vijai सरजी हौसलाफजाई के लिए आभार!!
वाह वाह बहुत खूब ....
हुस्न पे तू सनम न कर यूँ गुमान
जहाँ में तेरा नाम हमने ही किया
किसकी थी मजाल तंज जो करता
खुद को ‘जान’ निलाम हमने ही किया
आदरणीय कृष्णा जी बधाई ....सादर
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