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सबसे खूबसूरत भूल (गज़ल)l

बाकी नहीं मंजर कोई आंखों में सिर्फ धूल है,
इस हाल में घर से निकलना बेसबब,फिज़ूल है,
मुझे दूर ही रख्खे तेरी चौखट से मेरी गैरतें,
मेरा भी इक ज़मीर है,मेरे भी कुछ उसूल हैं,
खैरात में मुझको नहीं तेरी वफायें चाहिये,
तू खुशी से दे तो तेरी नफरतें कुबूल हैं,
तुझे भूलकर भी भूलना मुमकिन नहीं है अब,
तू मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीन भूल है ll
-Er Anand Sagar Pandey

मौलिक एवं अप्रकाशित l

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Comment by Er Anand Sagar Pandey on July 23, 2015 at 5:47pm
बहुत-बहुत आभार मदन मोहन सक्सेना जी l
Comment by Madan Mohan saxena on July 23, 2015 at 3:46pm

वाह शानदार गजल

Comment by Er Anand Sagar Pandey on July 23, 2015 at 3:04pm
सादर आभार कान्ता जी l
Comment by kanta roy on July 23, 2015 at 1:19pm
वाह !!!!! क्या शानदार शेरों से सजाई है आपने ये गजल ...... बधाई आपको आदरणीय आनंद सागर पाण्डेय जी ।
Comment by Er Anand Sagar Pandey on July 23, 2015 at 8:44am
सम्मानित त्रिपाठी जी !!
इस उत्साहवर्धक टिप्पडी हेतु बहुत-बहुत आभार l
Comment by Er Anand Sagar Pandey on July 23, 2015 at 8:42am
समर जी !
तह-ए-दिल से शुक्रिया l
Comment by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 7:56pm

तुझे भूलकर भी भूलना मुमकिन नहीं है अब,
तू मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीन भूल है ll,वाह ! क्या भाव है ..बहुत बहुत बधाई भाई  Er Anand Sagar Pandey जी|

Comment by Samar kabeer on July 22, 2015 at 6:47pm
जनाब ई.आनंद सागर पांडे जी,आदाब,अच्छा प्रयास किया है आपने,बधाई हो ,जनाब मिथिलेश वामनकर जी और जनाब गिरिराज भंडारी जी की बात पर ग़ौर कीजियेगा ।
Comment by Er Anand Sagar Pandey on July 22, 2015 at 4:09pm
तह-ए-दिल से आभार राहुल जी l
Comment by Er Anand Sagar Pandey on July 22, 2015 at 4:08pm
सराहना एवं सुझाव हेतु तह-ए-दिल से शुक्रिया सम्मानित गिरिराज जी l

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