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आस का पंछी
मन इक् आस का पंछी
मत क़ैद करो इसे
क़ैद होंने के लिए
क्यां इंसान के
तन कम हैं

Views: 306

Comment

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Comment by Admin on June 21, 2010 at 12:21pm
बहुत ही सुंदर कविता , उत्तम विचार , सादर आभार ,
Comment by baban pandey on June 19, 2010 at 5:48am
gaagar me saagar ..accept congratulation
Comment by Pallav Pancholi on June 19, 2010 at 1:20am
क़ैद होंने के लिए
क्यां इंसान के
तन कम हैं
बहुत सुंदर आभिव्यक्ति बधाई स्वीका करें

कृपया ध्यान दे...

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