Posted on June 2, 2011 at 12:30am — 2 Comments
हर दिन जमाना दिल को मेरे आजमाता है
मिलता है जो भी, बात उसकी ही चलाता है
मालूम है मुझको की आईना है सच्चा पर
ये आजकल, सूरत उसी, की ही दिखाता है
पीना नहीं चाहा कभी मैने यहाँ फिर भी
मयखाने का साकी, ज़बरदस्ती पिलाता है
सच है खुदा तू ही मदारी है जहाँ का बस
हम सब कहाँ है नाचते, तू ही नचाता है
"मासूम" अब रोना नहीं दुनिया मे ज़्यादा तुम
इस आँख का पानी उठा सैलाब लाता है
Posted on May 25, 2011 at 12:00am — 3 Comments
Posted on October 12, 2010 at 12:00am — 1 Comment
Posted on September 21, 2010 at 10:00pm — 2 Comments
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मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
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