मोहब्बत की कोई जब भी यहाँ पर बात करता है
न जाने क्यों मेरा दिल ये उसी को याद करता है
किसी मंदिर मे जाऊं या किसी मज़्ज़िद मे जाऊं मैं
मेरा दिल बस उसे पाने की ही फ़रियाद करता है
कभी रांझा बनाता है कभी
मजनू बनाता है
जहाँ मे इश्क़ लोगों को योहीं बर्बाद करता है
शिकायत बस यही बाकी रही दिल मे मेरे यारों
मोहब्बत ही नही करता जहाँ बस बात करता है
कभी कहना नहीं मासूम जग को हाल दिल का भी
कोई मायूस करता है तो बस हमराज़ करता है…
Continue
Added by Pallav Pancholi on June 2, 2011 at 12:30am —
2 Comments
हर दिन जमाना दिल को मेरे आजमाता है
मिलता है जो भी, बात उसकी ही चलाता है
मालूम है मुझको की आईना है सच्चा पर
ये आजकल, सूरत उसी, की ही दिखाता है
पीना नहीं चाहा कभी मैने यहाँ फिर भी
मयखाने का साकी, ज़बरदस्ती पिलाता है
सच है खुदा तू ही मदारी है जहाँ का बस
हम सब कहाँ है नाचते, तू ही नचाता है
"मासूम" अब रोना नहीं दुनिया मे ज़्यादा तुम
इस आँख का पानी उठा सैलाब लाता है
Added by Pallav Pancholi on May 25, 2011 at 12:00am —
3 Comments
हर दिन जमाना दिल को मेरे आजमाता है,
मिलता है जो भी, बात उसकी ही चलाता है.
मालूम है मुझको की आईना है सच्चा पर,
ये आजकल, सूरत उसी, की ही दिखता है.
पीना नहीं चाहा कभी मैने यहाँ फिर भी,
मयखाने का साकी, ज़बरदस्ती पिलाता है.
सच है खुदा तू ही मदारी है जहाँ का बस,
हम सब कहाँ है नाचते, तू ही नचाता है.
"मासूम" अब रोना नहीं दुनिया मे ज़्यादा तुम,
इस आँख का पानी उठा सैलाब लाता है.
Added by Pallav Pancholi on October 12, 2010 at 12:00am —
1 Comment
फिर उसकी महक ले हवाएँ आईं
शायद काम मेरे मेरी दुआएँ आईं
आँखों में फिर थोड़ी चमक है सबकी
जाने क्या संग अपने ले घटाएँ आई
कौन बचा है खुदा के इंसाफ़ से यहाँ
सब के हिस्से मे अपनी सजाएँ आईं
बीमार कहाँ मरते हैं मरज से यहाँ
काम मारने के अब तो दवाएँ आईं
जब लगा ख़तरे मे है कोई "मासूम"
दौड़ चली शहर की सब माएँ आईं ,
Added by Pallav Pancholi on September 21, 2010 at 10:00pm —
2 Comments
आजकल रातों के सन्नाटे मे भी शोर बहुत है...........
शाम ढली नही फिर भी अंधेरा घोर बहुत है...........
सुना था मोहब्बत पत्थर को मोम कर देता है..........
लगता है बस इक तेरा ही दिल कठोर बहुत है..............
अपने अपने दिल को रखना यारों संभाल के.............
इस शहर मे आजकल घूम रहे हँसी चोर बहुत है...............
लगता है आज फिर टपकेंगी बस्ती की कई छतें...................
आसमान…
Continue
Added by Pallav Pancholi on September 1, 2010 at 12:07am —
1 Comment
जिंदगी के नशे मे है झूमती जिंदगी
मौत के कुएँ मे भी है घूमती जिंदगी
जिंदगी की कीमत तो जिंदगी ही जाने
रेगिस्तान मे जलबूँद है ढूँढती जिंदगी
हो गर जवाब तो वो लाजवाब ही होवे
हर पल ऐसे सवाल है पूछती जिंदगी
कोई मिला खाक मे, कोई खुद धुआँ हुवा
धरती ओर गगन के बीच है झूलती जिंदगी
किसी का गम किसी की मुस्कुराहट यहाँ
हर हाल मे मुस्कुराके आँखे है मूंदती जिंदगी
जान ले "मासूम " रुसवाई नही किसी को यहाँ
मौत के भी खुश होकर पग है…
Continue
Added by Pallav Pancholi on August 7, 2010 at 3:30pm —
3 Comments
होती है सुबह,ओर ढलती है मेरी शाम बस तेरा नाम ले लेकर
करने लगा शुरू मे आज कल हर काम बस तेरा नाम लेकर
कोई पीता है खुशी मे, किसी को गम, पीना सीखा देता यहाँ
मैने पीया है अपनी ज़िंदगी का हर जाम बस तेरा नाम लेकर
कोई करता है तीरथ यहाँ तो कोई जाता है मक्का ओर मदीना
हो गये पूरे इस जीवन के मेरे सारे धाम बस तेरा नाम लेकर
कोई भागता है दौलत के पीछे तो कोई शोहरत का दीवाना यहाँ
मुझे मिल जाती जहाँ की खुशियाँ तमाम बस तेरा नाम लेकर
किसी को जन्नत…
Continue
Added by Pallav Pancholi on July 30, 2010 at 1:33am —
4 Comments
लेकर उजियारे मेरे, अंधेरी शाम दे गया कोई
आँसू भरी रहे आँखे ऐसे इंतज़ाम दे गया कोई
इस ज़माने मे रहता था नशा उसके प्यार का
आज इस मासूम के हाथ मे जाम दे गया कोई
ना अब जाता हूँ मंदिर ना नमाज़ पढ़ता हू मैं
जपू माला उसके नाम की,ये काम दे गया कोई
नहीं हुई आवाज़ पर दिल टूटकर मेरा चूर हुआ
जातेजाते मुझपे बेवफ़ाई का इल्ज़ाम दे गया कोई
कल तक तो बुलाते थे तुझे पल्लव कह की ही सब यहाँ
छीनकर मेरी पहचान दीवाना मुझे नाम दे गया कोई
Added by Pallav Pancholi on July 7, 2010 at 12:01am —
1 Comment
जो थे अरसे से खामोश मेरे इन होठों को तराने मिल गये
लड़ा पत्थरों से कुछ ऐसे की हीरों के खजाने मिल गये
गया मेरी जिंदगी से, मुझे मरने के लिए छोड़ गया वो
अब भी हूँ जिंदा मस्ती मे, मुझे जीने के बहाने मिल गये
जो था मेरा अपना वो मुझसे अब नज़रें चुराने लग गया
पर इस महफ़िल मे हंसकर गले मुझसे बैगाने मिल गये
घर से मिकला था की जाऊँगा मंदिर पर अभी तो नशे मे हुँ
अगली ही गली मे मुझे ये कितने सारे मयखाने मिल गये
गया था कुछ बैगानों की महफ़िल मे कल…
Continue
Added by Pallav Pancholi on July 2, 2010 at 11:46pm —
4 Comments
उसका मुझसे दूर जाके मेरे पास आना ज़रूरी तो नही
जो भुला हो मुझे उसे मेरा याद आना ज़रूरी तो नही
आ जाती हैं इस चेहर पे खामोशियाँ कभी कभी
हर वक़्त, बेवजह मेरा मुस्कुराना ज़रूरी तो नही
आकर गले मिलते हैं यूँ तो मुझसे कई हर रोज़
हर शख्स का दिल मे उतर जाना ज़रूरी तो नहीं
कभी पीने पड़ते हैं गम तो कभी मिलते है आँसू
हर रात मेय से भरा हो पैमाना ज़रूरी तो नही
कुछ को मिलते हैं पत्थर,कुछ खुद पत्थर हो जाते हैं
ताजमहल बनवाए यहाँ हर दीवाना…
Continue
Added by Pallav Pancholi on June 29, 2010 at 6:13pm —
2 Comments
जिसमे शब्द नही, हो चेहरा तेरा ला मुझे वो किताब देदे
जो बहाएँ हें हर पल मेने, मेरे इन आंसूओं का हिसाब देदे
कोई पीता है आँसू यहाँ तो किसीने पिए हैं अपने सारे गम
मैं तो हर रात यह कहता हू ला साकी थोड़ी और शराब देदे
अब देगी या तब देगी यही सोच कर काट दी उमर अपनी मैने
जो पूछा था तुझसे मैने अब तो मेरे उस सवाल का जवाब देदे
नही पता तुझे काँटों का चुभना दर्द नही देता थोड़ा भी मुझे
ला मुझे तेरे बदन की खुश्बू वाला,तुझसा हसीन एक गुलाब देदे
कहती…
Continue
Added by Pallav Pancholi on June 24, 2010 at 1:31am —
2 Comments
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
हर रात हौले से जब बंद करेगी तू अपनी आँखें
तेरे सपनो के द्वार इक दस्तक मैं दे जाऊँगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
मैं तुझ से मिलने आऊंगा
लाख लगा ले तू पहरा अपने महलों की द्वारों पे
नज़र उठा के देख ज़रा लिखा है मैने नाम तेरा चाँद सितारों मे
जानता हूँ हर रोज़ जाती है तू फूलों के बागों मे
बालों मे लगाती है इक गजरा पिरोके उनको धागों मे
इक दिन बनके फूल तेरे गजरे का तुझ ही को महकाऊँगा
मैं…
Continue
Added by Pallav Pancholi on June 20, 2010 at 12:47am —
5 Comments
अरसे से तेरी याद मे जिंदा हूँ,करूँ अब ओर इंतज़ार कैसे
हर कसम इश्क़ की तोड़ी है तूने,करूँ तेरे नये वादे पे ऐतबार कैसे
ये जो जख्म हैं सीने पे मेरे, इक नाज़ुक कली ने दिए हैं मुझे
काँटों के बीच खिले इस गुलाब से अब मैं करूँ प्यार कैसे
ना हो वो बदनाम मेरे नाम के साथ, ओढ़ ली इसलिए गुमनामी मैने
अब तुम ही बताओ लाउ उसका नाम ज़ुबान पर भरे बाजार कैसे
दियों की तरह अरसे से जला रखा हे दिल दुनिया उसकी रोशन करने को
आँखो मे आँसू लेकर अब ओर मनाउ दीवाली का यह…
Continue
Added by Pallav Pancholi on June 17, 2010 at 12:15am —
5 Comments
yeh meri pahli gazal hai is site par..... saath he saath jeeven me pahli baar ghazal likhne ki koshish ki hai aap sabhi ke sujhav amantrit hain
हाय मेरी मोहब्बत मोहब्बत ना रही.... यह तो अब एक फसाना हो गया............
रात ही तो आया था वो ख्वाब मे.... पर लगता है उससे मिले एक ज़माना हो गया
मुझे दिलासे दे देकर मुझसे भी ज़्यादा रोए हैं मेरी आँखो के आँसू.........
लगता है मेरा रोना उसके मुस्कुराने का बहाना हो…
Continue
Added by Pallav Pancholi on June 16, 2010 at 1:25am —
13 Comments