For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिसमे शब्द नही, हो चेहरा तेरा ला मुझे वो किताब देदे
जो बहाएँ हें हर पल मेने, मेरे इन आंसूओं का हिसाब देदे

कोई पीता है आँसू यहाँ तो किसीने पिए हैं अपने सारे गम
मैं तो हर रात यह कहता हू ला साकी थोड़ी और शराब देदे

अब देगी या तब देगी यही सोच कर काट दी उमर अपनी मैने
जो पूछा था तुझसे मैने अब तो मेरे उस सवाल का जवाब देदे

नही पता तुझे काँटों का चुभना दर्द नही देता थोड़ा भी मुझे
ला मुझे तेरे बदन की खुश्बू वाला,तुझसा हसीन एक गुलाब देदे

कहती हैं पड़ोस वाली दादी की मर मिटेंगे आज भी हज़ारों हम पे
जो हम होठों पे लाली,आँखों मे काजल ओर बालों मे खिजाब देदे

Views: 306

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 24, 2010 at 4:08pm
प्रिय पल्लव भाई, एक बार फिर से बहुत अच्छा प्रयास है आपका - मैं बहुत खुश हूँ ! विचारों में परिपक्वता और कव्यात्मिक शब्दावली का चयन तो खैर तजुर्बे के साथ ही आया करता है, लेकिन ज़रूरी होता है निरंतर लिखते और स्वाध्याय करते रहना ! किसी भी काव्य रचना की सुन्दरता इसी में होती है कि हर शब्द बडे ध्यान से चुना जाए, फिर उसको बडे करीने से पिरोया जाए ! एक भी फालतू शब्द शेयर का स्वरूप बिगड़ सकता है !

//कहती हैं पड़ोस वाली दादी की मर मिटेंगे आज भी हज़ारों हम पे
जो हम होठों पे लाली,आँखों मे काजल ओर बालों मे खिजाब देदे //

यह शेयर बहुत ही अटपटा लागता है और किसी संजीदा ग़ज़ल का हिस्सा नही हो सकता ! मैं आपकी ग़ज़ल में कोई मीन मेख निकालने कि कोशिश नहीं कर रहा, लेकिन अगर यह ग़ज़ल कुछ इस प्रकार कही जाती तो शायद ज्यादा प्रभावशाली होती !

कोई शब्द न हो, बस चेहरा तेरा,ऐसी कोई किताब दे !
जो बहे थे तेरी फुरकत में, उन अश्कों का हिसाब दे !

कोई आंसू पीता है अपने, और अपने गम पीता कोई,
पर शाम ढले दिल कहता है, कोई आके मुझे शराब दे !

ये सोच के उम्र गुजारी है, इक दिन तो मिल ही जायेगा,
जो पूछा था बरसों पहले, उस प्रश्न का मुझे जवाब दे !

तेरे हिज्र के काँटों का बिस्तर, किस्मत है मेरी बरसों से,
पर कभी तो अपने मिलन की ख़ुशबू का मुझे गुलाब दे !

ढल चुकी जवानी, बालों में चाँदी सी लटें लहराती हैं,
अब कौन जो उजडे गुलशन को सुर्मा, लाली, खिजाब दे !

अपना हक समझ कर बड़ी ईमानदारी से अपनी राये देने की कोशिश की ही - आशा करता हूँ कि आप अन्यथा नहीं लेंगे !
Comment by baban pandey on June 24, 2010 at 10:51am
कोई पीता है आँसू यहाँ तो किसीने पिए हैं अपने सारे गम
मैं तो हर रात यह कहता हू ला साकी थोड़ी और शराब देदे........dard me duba hua hai bhai....dhanyabad

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service