For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसका मुझसे दूर जाके मेरे पास आना ज़रूरी तो नही
जो भुला हो मुझे उसे मेरा याद आना ज़रूरी तो नही

आ जाती हैं इस चेहर पे खामोशियाँ कभी कभी
हर वक़्त, बेवजह मेरा मुस्कुराना ज़रूरी तो नही

आकर गले मिलते हैं यूँ तो मुझसे कई हर रोज़
हर शख्स का दिल मे उतर जाना ज़रूरी तो नहीं

कभी पीने पड़ते हैं गम तो कभी मिलते है आँसू
हर रात मेय से भरा हो पैमाना ज़रूरी तो नही

कुछ को मिलते हैं पत्थर,कुछ खुद पत्थर हो जाते हैं
ताजमहल बनवाए यहाँ हर दीवाना ज़रूरी तो नही

मलमल के बिस्तर पे भी कट जाती हैं रातें जाग जाग
गर है सोने की थाली मे ,मीठा हो खाना ज़रूरी तो नही

हर रोज़ मिलता है नये नये भेस मे मुझसे उपरवाला यहाँ
फिर उससे मिलने मंदिर या मज़्ज़िद जाना ज़रूरी तो नही

Views: 279

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 5, 2010 at 6:04pm
आकर गले मिलते हैं यूँ तो मुझसे कई हर रोज़
हर शख्स का दिल मे उतर जाना ज़रूरी तो नहीं

कभी पीने पड़ते हैं गम तो कभी मिलते है आँसू
हर रात मेय से भरा हो पैमाना ज़रूरी तो नही

waah Pallav jee waah, aap ki yey Gazal sidhey dil ko chhu rahi hai, bahut hi umdda likha hai aapney, eesi tarah ki rachnao ka aagey bhi intjaar raheyga,

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 30, 2010 at 7:09pm
Jiyo Pallav Jiyo, aj tumhari Ghazal ne dil khush kar diya. Khayalon mein ab kafi gehrayi aa rahi hai, magar alfaaz kahin kahin sath chhod jatey hain. 6th sheyar ka doosra Misra (2nd line) bahut halka hai baat jachi nahi wahan. Akhri sheyar mein bhav to bahut acchey hain magar wo hadd se zyada bewazan ho gaya hai. In dono sheyaron par thodi mehnat aur karo. Shabaash!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service