For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यूँ ज़िन्दगी में अब मेरी वो बात नहीं है

221 1221 1221 122

यूँ ज़िन्दगी में खुशियों सी वो बात नहीं है,
बिछुड़ा है जरा साथ मगर मात नहीं है |

मैं शिकवों भरी शामो सहर देख रहा हूँ,
ये घाव उठा दिल पे है सौगात नहीं है |

चलने लगी है आखों में रुक-रुक के ये नदिया,
ये गम का दिया रंग है बरसात नहीं है |

क्यूँ काल से उम्मीद रखूँ कोई रहम की,
है कर्मों की ये बात कोई घात नहीं है |

कुछ लोग लुटाते हैं शबो रोज़ नसीहत,
मैं कर सकूं ये बात भी औकात नहीं है |


________________________

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 928

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on August 4, 2016 at 12:10am
आ० समर कबीर सर आपका बहुत आभारी हूँ | आपने व्याकरण की इतनी बारीकी से वाकिफ करवाया | उम्मीद है सर आप अपनी बेशकीमती राय से हमें यूँ ही नवाजते रहेंगे |

सादर !!

यूँ ज़िन्दगी में खुशियों सी वो बात नहीं है,
बिछुड़ा है जरा साथ मगर मात नहीं है |

मैं शिकवों भरी शामो सहर देख रहा हूँ,
ये घाव उठा दिल पे है सौगात नहीं है |

चलने लगी है आखों में रुक-रुक के ये नदिया,
ये गम का दिया रंग है बरसात नहीं है |

क्यूँ काल से उम्मीद रखूँ कोई रहम की,
है कर्मों की ये बात कोई घात नहीं है |

कुछ लोग लुटाते हैं शबो रोज़ नसीहत,
मैं कर सकूं ये बात भी औकात नहीं है |
Comment by Samar kabeer on August 3, 2016 at 6:54pm
लेकिन दूसरे शैर में आपने रदीफ़ 'हैं'लिख दी है उसे "है" कीजिये
Comment by Samar kabeer on August 3, 2016 at 6:51pm
जी हाँ,वो दोष अब नहीं रहा ।
Comment by Harash Mahajan on August 3, 2016 at 4:49pm

आ० समर कबीर जी इंगित मिसरों में ही गलती को जरा सुधार कर एक अदना सी कोशिश फिर से की है ......जरा नज़रें इनायत कीजिये सर !!

"यूँ ज़िन्दगी में खुशियों सी वो बात नहीं है,
बिछुड़ा है जरा साथ मगर मात नहीं है |

मैं शिकवों भरी शामो सहर देख रहा हूँ,
ये घाव उठा दिल पे है सौगात नहीं हैं |"

Comment by Harash Mahajan on August 2, 2016 at 3:49pm
आदरणीय गिरिराज जी नमस्कार । कृति को पसंद करने के लिए बहुत बहुत आभार ।
Comment by Harash Mahajan on August 2, 2016 at 3:43pm
आदरणीय समर कबीर जी नमस्कार । प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रगुजार हूँ । सर आपने जिन बिंदुओं पर निशानदेही की है उसके लिए मैं बहुत आभारी हूँ । उनको दुरुस्त कर फिर से हाज़िर होता हूँ ।
सादर !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 2, 2016 at 1:43pm

आदरनीय हर्ष भाई , बहुत अक्छी गज़ल हुई है . दिली बधाइयाँ स्वीकार करें । बाक़ी बातें आ. समर भाई कह ही चुके हैं , खयाल कीजियेगा।  आखों को आँखों कर लीजियेगा ।

Comment by Samar kabeer on August 2, 2016 at 10:43am
जनाब हर्ष महाजन साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।
मतले और दूसरे शैर के सानी मिसरे में "हालात"और "जज़्बात"शब्द बहुवचन हैं इसलिए इन मिसरों में रदीफ़ 'है' की जगह "हैं" हो रही है, जबकि पूरी ग़ज़ल में आप "है" रदीफ़ लेकर चले हैं,इस तरफ ध्यान दीजियेगा ।
Comment by Harash Mahajan on August 2, 2016 at 8:27am
आ0 सुशील सरना जी आपको ग़ज़ल का आनंद आया मेरी मेहनत वसूल हुई । आपका बहुत बहुत शुक्रिया !

सादर !!
Comment by Harash Mahajan on August 2, 2016 at 8:22am
"आदरणीय सुरेश कुमार जी बहुत बहुत आभार आपका।आपको रचना पसन्द आई,दिल को सुखद अनुभव हुआ।
सादर !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
12 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
13 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service