For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यवस्था/ लघुकथा

"सारी व्यवस्था आपको ही करना है। लोगों को बुलाना और कार्यक्रम का उद्देश्य को सफलता से प्रस्तुत करना है।"
"जी, लेकिन मैं अकेले कैसे कर पाऊँगी?"
" अकेले कहाँ हैं आप! मैं पीछे से समस्त इंतजाम कर दूँगा , पैसों की चिंता बिलकुल मत करना । बैनर आपका पैसा हमारा, अब सिर्फ हमारे लिये काम करेंगी आप ।"
वह चुप हो इत्मीनान से सुनती रही।जिंदगी अपना नया दाँव चल रही थी।
" अरे मैडम , हम आपको भी पेमेंट करेंगे।"
" मुझे " पे " करेंगे यानि मेरी कीमत देंगे ?"
"जी हाँ, आप अपना समय दे रही है तो.....!"
उस वक्त मन में उठते फ़ेन-सा तिक्त ज्वार के वेग को संभाल वापस घर तो आ गई लेकिन आँखों में ही रात गुजारा उसने।
"नये साल की वह पहली सुबह जैसे बर्फानीा पानी में नहा कर आई थी ।10 बज चुके थे पर सूर्यदेव अब तक धुंध का धवल कंबल ओढ़े आराम फरमा रहे थे ।अनु ने पूजा की थाली तैयार की और ननद के कमरे में झांक कर कहा," नेहा! प्लीज नोनू सो रहा है ,उसका ध्यान रखना।मैं मंदिर जा कर आती हूँ ।"
शीत लहर के तमाचे खाते और ठिठुरते हुए उसने मंदिर वाले पथ पर पग धरे ही थे कि उसके पैरों को जैसे जकड़ लिया ।सामने महाशय लिफाफा लेकर उसके इंतजार में खड़े थे। एक वेग जैसे उफन पड़ा,मन के द्वंद्वों पर वह अब संयत न रह पाई।
" सुनिये , कल के दिये हुए आपके ऑफर के बारे में कुछ कहना है ।आपने मेरा गलत आकलन किया है। मैं अपना जो भी समय खर्च कर रही हूँ , वह आपके लिये नहीं बल्कि समाज के लिये हैं।"
" बात तो वही हुई ,आप यही समझ कर रख लीजिये कि समाज आपको " पे " कर रहा है।"
" .......?, जरा रुकिये , एक काम कीजिये।"
" कैसा काम?"
" दरअसल आपको टैलेंट की नहीं, कठपुतली की जरूरत है। पैसे लेकर बाजार निकल जाईये , आपके काम की पुतलियों की कमी नहीं वहाँ।" कहते हुए आगे बढ़ मंदिर के बाहर टँगी घंटे को उसने दम लगा कर टनकार की ध्वनि ऐसे उत्पन्न किया मानो वातावरण में शुद्धता का संचरण को प्रतिष्ठित कर रही हो।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 413

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on September 8, 2016 at 11:38am

इस आयोजन की भी थोड़ी भूमिका  रचना में होती तो  रचना का मर्म संप्रेषित हो पाता..कुछ और समय चाहती है ये रचना  आदरणीया कांता जी  

Comment by Samar kabeer on September 7, 2016 at 10:49pm
मोहतरमा कांता रॉय जी आदाब,मुआफ़ कीजियेगा,आप लघुकथा में क्या कहना चाहती हैं ,मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आया, फिर भी इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 7, 2016 at 11:28am

आद०  कांता  जी, शिल्प  के  आधार  पर बेशक लघु कथा उम्दा हुई है किन्तु मुख्य बात  स्पष्ट  होकर नहीं निकली जिससे  लघु कथा पर कुछ कहने में असमर्थ पा रही हूँ --कि ऐसा  कौन सा आयोजन तथा किन लोगों का था जिसकी व्यवस्था नायिका को करनी थी जिसके लिए उसका जमीर नहीं मान रहा था नायिका  तो  समाज  सेविका  है  शायद ? 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
39 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service