For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी बोलने में ना सकुचेंगे

"हिन्दी बोलने में ना सकुचेंगे"

हिन्दी मातृभाषा है मेरी,
फिर क्यूं बोलने में शरमाऊं।
पट पट पट पट अंग्रेजी बोलना,
क्यूं ही मैं हरदम चाहूँ।।

हिन्दी बोलूं तो गंवार लगूं,
जो अंग्रेजी बोलूं तो शान।
क्यूं हम हिन्दी होकर भी,
नहीं करते हिन्दी का सम्मान।।

विदेशी भारत आकर भी,
इंग्लिश में ही बातें करता।
फिर भारतीय विदेश में जाकर ,
क्यूं हिन्दी बोलने में है कतराता ।।

गीता का उपदेश भी कृष्ण ने ,
हिन्दी में ही सुनाया है।
रामायण को वाल्मीकि ने,
हिन्दी में ही गाया है।।

युगों युगों से हिन्दी और संस्कृत का,
परचम भारत में लहराया है।
पर मॉडर्न भारत में अंग्रेजी ने,
झण्डा अपना लहराया है।।

हिन्दी दिवस पर आज हम हिन्दी,
सब मिलकर प्रण ये लेते हैं।
हिन्दी भाषा का सम्मान करेंगे और
हिन्दी बोलने में ना सकुचेंगे।।

नीता तायल
"मौलिक और अप्रकाशित"

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeta Tayal on September 13, 2020 at 10:49am

आदरणीय सर बहुत बहुत शुक्रिया आपका,माफी चाहूंगी में आपकी सुन्दर रचनाओं पर अभिव्यक्ति प्रकट नहीं कर पाती

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2020 at 10:43am

आ. नीता जी, सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Neeta Tayal on September 10, 2020 at 4:33pm

बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by Samar kabeer on September 10, 2020 at 3:56pm

मुहतरमा नीता जी आदाब, अच्छी रचना है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service