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जो कही नही तुमसे

जो कही नहीं तुम से, मैं वो ही बात कहता हूँ

चलो मैं भी तुम्हारे संग कदम दो चार चलता हूँ

चाहत थी यही मेरी के तू भी साथ चल मेरे

न बंदिश हो ना दूरी हो राहूँ जब साथ मैं तेरे

लूटा दूँ ये जवानी मैं बस इस दो पल की यादों मे

छुपा लूँ आँ खमे अपने न बहने दूँ मैं पानी मे

कहता  हूँ जो नज़रों से जुबा से कह ना पाऊँगा

हूँ रहता साथ मैं हरदम पर तेरा हो ना पाऊँगा

हक़ीक़त है यही मेरी मैं तुझसे प्यार करता हूँ

तू वाकिफ है मेरे सच से मैं कितना तुझपे मारता हूँ

कभी ना साथ छोड़ूँगा रहा ये वायदा मेरा

मैं कल भी बस रहा तेरा, मैं अब भी बस तुम्हारा हूँ

अगर तुम तौलना चाहो मोहब्बत को तराजू मे

तब हो दिल के बदले दिल रखो दौलत को बाजू मे

यही है शर्त बस मेरी की तुम इंसानियत बरतों

मैं शख्शियत को अलग रखूँ,तुम रुतबे को अलग रखो

कही है बात जो मैंने तुम उसपर गौर फरमाना

जो रिश्ता है तेरा मुझसे न समझेगा ये जमाना

कभी ना बोल देना तुम ये अपने राज गैरों से

हक़ीक़तहै अगर कुछ भी न बन जाए वो अफसाना

"मौलिक व अप्रकाशित"

अमन सिन्हा 

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Comment by Samar kabeer on February 21, 2022 at 8:38pm

जनाब अमन सिन्हा जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

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