For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-105 (विषय: शुभचिंतक)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-105 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार का विषय 'शुभचिंतक', तो आइए इस विषय के किसी भी पहलू को कलमबंद करके एक प्रभावोत्पादक लघुकथा रचकर इस गोष्ठी को सफल बनाएँ।  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-105
विषय: 'शुभचिंतक' 
अवधि : 30-12-2023 से 31-12-2023 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सकें है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 267

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

" दृष्टिकोण "

वो साप्तहिक हाट बाजार में ले जाने वाले सारे लकड़ी के खिलौने इकठ्ठा करते करते बड़बड़ाता जा रहा था " बड़ी जल्दी कर दी रधिया तूने जाने की अब तेरे इस नासपीटे बेटे को कैसे सम्हालू समझ नहीं आ रहा .
" शिव ! ओ शिव! ,अरे शिवल्या सुन तो जरा ,अरे इस गठरी को ठेले पर धर और चल मेरे साथ ."
" अब कहा जाना है बाबा ? रोज रोज का झंझट है ये . कभी इस गांव, कभी उस गांव . मई ना जाऊ"
"अरे चल बेटा. ऐवे ही पहचान होवे है सब से . पुश्तैनी धंधा है अपना . ये लकड़ी के खिलौने आसपास के गांव में बहुत प्रसिद्ध है . जब छोरिया मायके आवे तो अपने बच्चो को ले आवे . एक खिलौना जरूर से दिलाए उन्हें ."
" बाबा कोई नहीं लेता अब ये खिलौने . पास के शहर के मॉल में देखों कैसे चाबी के ,तो रिमोट से चलने वाले किस्म -क़िस्म के खिलौने मिलते है . अब बच्चो को वे ही भाते (सुहाते) है ." फाइल के कागजात से अपना सर उठाते शिव ने कहा
" अच्छा चल ठीक है .ये तू क्या कागजो में सर घुसाए बैठा है "
" बाबा ! इस कागज़ पर अपना साइन ठोंक दो. मैंने बैंक से कर्ज उठाकर वह एक दूकान खरीद ली है वहाँ. मैं अब आधुनिक खिलौने बेचूँगा. "
"बेटा! ये चमक-धमक ज्यादा दिन की नहीं होती . बहुत ऊंच-नीच चलती है यहाँ बड़े लोगो की . तुम आज नहीं समझोगे .बाबा ने बिना देखे कागज़ पर हस्ताक्षर कर दिए
शिवा कागज लेकर तुरत-फुरत बाहर निकल गया .
बाबा पुकारते रह गए
रमेस्या ने अपना गठ्ठर उठा ठेले पर डाला और चल पड़ा लखेरापुरा गांव की तरफ .
मौलिक व अप्रकाशित

आदाब। हार्दिक स्वागत आपका और आपकी विषयांतर्गत बेहतरीन रचना का। हार्दिक बधाई जाते वर्ष की महत्वपूर्ण गोष्ठी का बढ़िया आग़ाज़ करने हेतु आदरणीया नयना (आरती) कानिटकर जी। सच्चे शुभचिंतक की यही नियति और वही आत्मविश्वास और वही सही दृष्टिकोण। किंतु आज के शिवल्या जैसे युवाओं को कौन समझाये? बढ़िया भाषा शैली और कहन।  रचना के आरंभिक वाक्य में शब्द 'वो' और रचना के समापन वाक्य में पात्र नाम 'रमेस्या' के प्रयोग की आवश्यकता पर पुनर्विचार किया जा सकता है। 'बाबा' शब्द किस के लिए है, वो/रमेस्या के लिये या दादाजी के लिये? पात्र नाम  संवाद में भी समायोजित होते चलें, तो शायद बेहतर रहेगा या बिना पात्र नाम भी लघुकथा कही जा सकती है मेरे दृष्टिकोण से।

हमें सिखाया जाता है कि इंवर्टेड कौमाओं के आसपास कहाँ स्पेस(खाली जगह) छोड़ना है और कहाँ नहीं। सम्पादन टंकण करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए विराम चिह्न टंकण के नियम भी। सादर।

आधार का बंटाधार (लघुकथा) :


दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं नज़दीक थीं। छात्र परीक्षाओं की तैयारी में जुटे और तैयारी कराने के साधन जुटाने की तैयारी करने में विषय-शिक्षक भी जुटे। शिक्षकों के एक सोशल मीडियाई वाट्सएप समूह पर नोट्स और दस्तावेज़ों का आदान-प्रदान ज़ोरों पर था। एक दिन दो शिक्षक समूह के पटल के संदेश पढ़कर या देखकर उन पर अपनी प्रतिक्रियायें कर रहे थे :


"कृपया सम्पूर्ण 'क़्विक रिवीज़न' की पीडीएफ भेजिए एड्यूकेटर्स। बोर्ड परीक्षा के सेम्पल पेपर्स भी भेजिये।" - एक संदेश।
एड्यूकेटर्स ने भेज दिये।
"धन्यवाद। इनकी उत्तरमाला भेजिये एड्यूकेटर्स महोदय।" - दूसरा संदेश।
तुरंत समाधान न हुआ।
फ़िर दूसरे सदस्य ने अनुरोध किये।
उत्तरमालायें प्रेषित की गईं।
"छात्र हर अध्याय के प्रश्नोत्तर मांग रहे हैं। कृपया सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर भेजियेगा।" - तीसरा संदेश।
दो-तीन सदस्यों के ऐसे ही अनुरोध पर एड्यूकेटर्स ने समाधान कर दिया। पटल पीडीएफ फाइलों और लिंक्स से भर गया।
दोनों शिक्षकों ने 'लाइक्स' प्रदान किये 'अंगूठे'या 'लव' या 'ताली' की इमोजी चस्पा करते हुए। फ़िर वे एक-दूसरे की शक्ल देखने लगे।
"परीक्षा छात्रों की है या शिक्षकों की?" एक ने दूसरे से व्यंगात्मक मुस्कान के साथ कहा।
"सवाल 'परीक्षा' का नहीं है। सवाल 'चिंता' का है। समूह के सदस्य या एडमिन 'एड्यूकेटर्स' हमारे 'शुभचिंतक' हैं और हम छात्रों के।" दूसरे ने एक आँख दबाते हुए जवाब देते हुए कहा, "शिक्षकों की इज़्ज़त रख लेते हैं ये समूह वरना हम शिक्षकों का और विशेषज्ञों का भी बंटाधार और छात्रों का भी!"


(मौलिक व अप्रकाशित)


(एड्यूकेटर्स= समूह के विषय-विशेषज्ञ एडमिनगण)

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
9 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service