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जीवन के इस मोड़ पे

शब्दों से घटाने

और कविताओं के जोड़ में

अनुभवों के सागर में

और इस धरती पे जीवन के

निचोड़ से

क्या सीखा मैंने?

रोता रहा हूँ कई बार

और कोसा भी सबको मैंने

किस्मत के आगे भीख मागी

और पुकारा रब को भी मैंने

पर आज सीख गया मैं

कि उन लोगों में क्या है बात ऐसी ख़ास

जो इतिहास का रुख मोड़ दें

जो किस्मत की कलाई मरोड़ दें

और सारी मुश्किलों के होने पर भी

अपनी चेतना और साहस से

उस अनचाही बेडी को तोड़ दें ?

जज़्बा



सागर को पार करने के लिए

पक्की नाव नहीं....

मज़बूत इरादा चाहिए

शिखर पे ध्वज लहराने को

पैरों में ताक़त नहीं.....

निगाह में वो ऊँचाई चाहिए

जीवन को जीने के लिए सुख सुविधा

के साधन नहीं.....

जीवट चाहिए

उसको खुश बनाने के लिए

कुछ नहीं बस….

एक मुस्कुराहट चाहिए

मंजिलें उन्ही को मिलती हैं

जिनके सपनो में जान होती है

पंखों से कुछ नहीं होता

हौसलों से उड़ान होती है

ऐसा जज़्बा चाहिए

बस ऐसा जज़्बा चाहिए



तालीम नहीं दी जाती परिंदों को

उड़ानों की

वो खुद ही समझ जाते हैं

ऊँचाई आसमानों की

ऐसे परिन्दों के पर कुतरे भी जाएँ तो क्या

उन्हें फिर भी ज़रुरत नहीं पड़ती

हम इंसानो की

बार बार हारे तो भी क्या

पैर लड़खडाएं तेरे तो भी क्या

बस जीतने का जज़्बा चाहिए.....

बैसाखी पे हों तेरी टाँगे भी तो क्या

औरों का सहारा बनने का

बस चट्टान सा जज़्बा चाहिए.....

तेरा पेट भूखा हो तो क्या

खाली हो तेरा कटोरा तो भी क्या

दाता बन ने का बस देने का जज़्बा चाहिए......

बुझ रहा हो तेरा दिया

शम्मा कमज़ोर हो तेरी तो भी क्या

ज़माने की रौशनी

ज़माने की मशाल बनने के लिए

लगातार जलने का बस जज़्बा चाहिए....

जज़्बा चाहिए



परिन्दों की तरह अगर उड़ने की

इच्छा रखता है तो मत घबरा

आँखे बंद कर और हौसले

की छलांग लगा

जीत का सेहरा पेहेनना चाहता है

तो बस सांस भरले

और हिम्मत से दौड़

बस उस जीत को गले लगा

तेरी हार और जीत

तेरा भविष्य और तेरा अतीत

इतिहास में तेरा दर्ज नाम

या आने वाले कल की तेरी ढलती शाम

सब तेरे जज्बे से है

सब तेरे जज्बे से है

वो जज़्बा है तो तू है

वो जज़्बा नहीं तो तू नहीं

तो साहिल के सुकून पे न खुश हो

मोती चाहिए तो

अपनी नाव तूफ़ान में उतार

कमर कस ले और

मोती हासिल करने का वो जज़्बा दिखा

वो जज़्बा दिखा

वो जज़्बा दिखा…..!!

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Comment

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Comment by Priyanka singh on July 3, 2013 at 7:59pm

बढ़िया रचना........खूब बधाई...

Comment by अनुपम ध्यानी on August 14, 2010 at 11:32am
Dhanyavaad Bagi jee

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 13, 2010 at 8:11am
बहुत खूब , क्या कमाल की बात कही है आपने अपनी कविता मे, बढ़िया रचना और सुंदर प्रस्तुति, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

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