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कविता : लद गया जमाना शराफत का भाई.....

लद गया जमाना शराफत का भाई
 साधू के भेष में  घुमने लगे कसाई.
        अब तो बिकने लगा इमान कौड़ीयों के भाव में.
        झूठ की हुकूमत हो गयी सच्चाई के गावं में.  
बेआबरू होखे दर-दर भटके बिश्वास.
रिश्तों-नातों से हमदर्दी ने ले ली बनवास.
         बड़ों से बड़प्पन मिटा छोटों से मिटा लिहाज़.
        नारी के कोमल ह्रदय से मिट गया पावन लाज.
चारों तरफ बेशर्मी की घनघोर घटा है छाई.
लद गया जमाना शराफत का भाई
धर्म  की  दुकान चलाने लगे अधर्मी.
संस्कार की शिक्षा देने लगे बेशर्मी.
         नियम और कानून सबके हो गये दो रंग.
         लूट रहे है चोर सिपाही मील के संग-संग.
मालदारों के जेब का गुलाम हुआ कानून.
बेगुनाह निकालते है करने वाले खून.
            आश्वासन की अमृत की फर्जी घुट पिला कर.
           लूट रहे है देश के नेता जनता को बेवकूफ बनाकर.
करा रहे है मजहब के नाम पर, दंगा और लड़ाई.
लद गया जमाना शराफत का भाई
        घूसखोरी के धंधे में आई गजब की तेजी.
        हिंदी बन गयी नौकरानी महारानी,बनी अंग्रेजी.
 मत पूछिये आलम देश में बेरोजगारी का.
बन गया है आदमी तमाशा किसी मदारी का.
          गम का सौदा कर बैठे खुशिओं के ब्यापार में.
          जहर की दुकान पे भी, खड़े है लोग कतार में. 
जीवन नरक बना रही है,कर्कश महंगाई.
लद गया जमाना शराफत का भाई

Views: 589

Comment

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Comment by Noorain Ansari on October 27, 2011 at 11:54am
सतीश जी और बंदना जी..
बहूत बहूत सादर आभार ..
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आप दोनों को भी मेरे तरफ से..
Comment by satish mapatpuri on October 26, 2011 at 8:31pm

बड़ों से बड़प्पन मिटा छोटों से मिटा लिहाज़.

  नारी के कोमल ह्रदय से मिट गया पावन लाज.
ज़हे नसीब ................ बड़ा ही खुबसूरत ख़्याल पेश किया है .............
दाद कबूल करें अंसारी साहेब और दीपावली की शुभकामनाएं भी
Comment by Noorain Ansari on October 20, 2011 at 7:19pm
गणेश जी प्रणाम,
बहूत बहूत सादर आभार..आपने अपने बहुमूल्य और बेशकीमती समय से कुछ क्षण निकालकर मेरी इस टूटी-फूटी रचना को
अपने अनमोल प्रतिक्रिया  से नवाज़ा..

बहूत बहूत धन्यवाद.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 20, 2011 at 6:46pm

आश्वासन की अमृत की फर्जी घुट पिला कर.            

लूट रहे है देश के नेता जनता को बेवकूफ बनाकर

 

नुरैन भाई, आख खोलक रचना है, यथार्थ को आपने अभिव्यक्त किया है, इस खुबसूरत रचना हेतु बधाई स्वीकार करें |

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