इस आयोजन के संचालक भाई धर्मेन्द्र शर्मा जी, जो कि आयोजन के आखरी दिन काम के सिलसिले में शहर से बाहर होने के बावजूद भी जिस तरह एक मिशन समझ कर पूरे तीन दिनों तक मैदान में डटे रहे, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है ! इसके अतिरिक्त भाई अम्बरीष श्रीवास्तव जी, श्री बृजभूषण चौबे जी, श्री अविनाश बागडे जी, श्रीमती सिया सचदेव जी, श्रीमती आराधना जी, श्रीमती वंदना गुप्ता जी, भाई गणेश बागी जी, भाई संजय मिश्र हबीब जी एवं भाई रवि प्रभाकर जी ने पूरे आयोजन के दौरान जिस तरह रचनाधर्मियों का अपनी सारगर्भित टिप्पणियों से उत्साहवर्धन किया, वह वन्दनीय है !
इन ऑनलाइन आयोजनों में हर बार नये साथी हमारे साथ जुड़ते रहे हैं, इस बार श्री दिलबाग विर्क जी, श्री अशोक कुमार शुक्ल जी, श्री संजय तिवारी जी एवं सुश्री अंजू (अनु) चौधरी जी का अपनी सुन्दर प्रस्तुतियों के साथ इस मंच से जुड़ना भी हर्ष का विषय रहा ! मुझे यह कहते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि इस आयोजन के दौरान प्रस्तुत रचनायों का स्तर बहुत ही ऊंचे दर्जे का रहा ! शिल्प ओर कथ्य के लिहाज़ से बहुत ही उच्च-स्तरीय रचनाएँ हम सब को पढ़ने को मिलीं !
एक बात का ज़िक्र मैं यहाँ विशेष रूप से करना चाहूँगा, ओबीओ पर कोई भी आयोजन मात्र आयोजन न रह कर सीखने सिखाने का एक प्लेटफोर्म हो जाता है ! आयोजनों को एक वर्कशाप बनाने की यह प्रक्रिया जोकि कुछ महीने पहले शुरू हुई थी, अब उसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं ! हमारे सदस्यों की रचनायों में पहले से कहीं ज्यादा प्रौढ़ता दिखाई देने लगी है ! चाहे वो इल्म-ए-अरूज़ हो या फिर छंद, रचनाकार अब शिल्प और कहन की दृष्टि से कहीं बेहतर काव्य का सृजन कर रहे हैं ! मेरी नज़र में ओबीओ द्वारा आयोजित समागमों का यह सब से सकारात्मक पहलू है, जिसके लिए ओबीओ के सभी चाहने वाले बधाई के पात्र हैं !
(प्रधान सम्पादक)
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योगराज जी,
आपकी उत्कृष्ट सम्पादकीय रिपोर्ट पढ़कर बहुत अच्छा लगा. इस बार मैं ''मौसम'' को मिस कर गयी जिसका बड़ा खेद है. आपको, धर्मेन्द्र जी व सारी टीम व सभी रचनाकारों को बधाई.
आदरणीया शन्नो जी, आपने मौसम को मिस किया और हम ने आपको ! आशा है कि चित्र से काव्य में आपके दर्शन अवश्य होंगे !
''मौसम'' के काव्य-महोत्सव के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ....
ओबीओ के नीलगगन पर
जब होते दीप्तिमान ''प्रभाकर''
कलम सभी की चलने लगती
रचनाकार जुड़ें सब आकर l
धर्म निभाते हैं संचालन कर
जब-जब गुनी श्रीमान धर्मेन्द्र
उनके निपुण योग्य करों से
हो जाता मधुरस सा अवसर l
भाव-घटायें उमड़-घुमड़ कर
पंक्ति बनें तब आखर-आखर
आहुति देते सब रचनाओं की
काव्य-महोत्सव में रचना कर l
-शन्नो अग्रवाल
आदरणीया शन्नोजी, आपकी पद्यात्मक प्रतिक्रिया सुखद लगी है. आपकी अनुपस्थिति को इस आयोजन में सभी ने महसूस किया. आपकी प्रस्तुति से मंच सदा धनी होता रहता है.
सादर.
सौरभ जी,
इस बार ''मौसम'' की बहार में भाग ना ले पाने का बहुत दुख है मुझे भी. आपके अपनेपन के शब्दों के लिये मैं हृदय से आभारी हूँ. जब सबकी रचनायें एक जगह एकत्र होंगी उस समय का इंतज़ार कर रही हूँ ताकि सभी को पढ़ सकूँ :)
और ओबीओ के लिये लिखी इस छोटी सी मेरी रचना को सराहने के लिये आपका बहुत शुक्रिया.
सभी रचनाएँ संग्रहीत हो कर पोस्ट हो चुकी हैं. आपने संभवतः उन लिंकों देखा नहीं है.
इस बार उन रचनाओं को भी एक स्थान पर संग्रहीत किया गया है जो किसी रचना की प्रतिक्रिया के रूप में पोस्ट होती हैं. ये वो रचनाएँ जो ओबीओ के आयोजनों में संवाद की स्थिति पैदा करते हैं. मैंने आसानी के लिये उन रचनाओं को प्रतिक्रिया-रचना का नाम दिया है.
दोनों तरह की रचनाओं को अलग-अलग लिंक पर पोस्ट किया गया है. आशा है, आप दोनों तरह की रचनाएँ पढ़ कर अवश्य ही अभिभूत होंगी.
प्रतिक्रिया-रचना वाला आपका आईडिया बहुत बढ़िया लगा भाई जी, साधुवाद स्वीकारें !
बहुत ही सुन्दर पद्यात्मक प्रतिक्रिया, आपके इस स्नेह का सादर आभार !
एक उत्कृष्ट और स्तरीय आयोजन की सफलता के लिए सभी साथिओं और संपादक - संचालक महोदय को हार्दिक साधुवाद और बधाई !! विभिन्न प्रचलित अप्रचलित विधाओं की रचनाओं ने मन को मोह लिया साथी गण खुद को परिमार्जित करते जा रहे हैं ओ बी ओ एक नए मुकाम की और अग्रसर है पुनः बधाई !!
ह्रदय से आपका आभार अरुण भाई !
आदरणीय योगराज प्रभाकरजी, सर्वप्रथम तो आयोजन समाप्ति के बाद ठीक समय पर रिपोर्ट के लिये सादर बधाई स्वीकारें. कहना न होगा, आपका रिपोर्ट आयोजन के कुल तीन दिनों की गतिविधियों का निचोड़ सामने रख देता है. आप एकदम सही कह रहे हैं कि ओबीओ के आयोजनों की प्रविष्टियों का स्तर दिनानुदिन बेहतर होता जा रहा है. सदस्यों का स्वाध्याय, रचना-कर्म के प्रति लगन तथा, सर्वोपरि, परस्पर उदार संवाद इस बेहतरी का बहुत बड़ा कारण है. लेकिन यह भी मानना होगा कि इस मंच का सकारात्मक वातावरण भी सकारात्मक उत्प्रेरक का कार्य करता है. भाई धर्मेन्द्रजी के संचालन, सदस्य गणों की संलग्नता और आपके दिशा-निर्देशन को आयोजन की सफलता के मुख्य कारणों में से है. सभी को मेरा सादर प्रणाम.
आपने रिपोर्ट पसंद फरमाई, इसके लिए आपका सादर आभार !
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