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चार पंक्तियाँ 'कान्हा' के 'नाम'...!!


घर तू आएगा ये जानती थी मैं...
इसलिए तो मटकी है जान के थोड़ी ऊँची बाँधी...
गुम हो तुझे कुछ पल निहार तो सकूँगी...
वरना तुझे देखने उमड़ पड़ती है हर पल गोपियों की आंधी...!!

::::जूली मुलानी::::
::::Julie Mulani::::

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Comment by Julie on September 2, 2010 at 5:29pm
शुक्रिया बागी जी, आपको और आपके समस्त परिवारजनों को और OBO परिवार के प्रत्येक सदस्य को कानपूर की तरफ से जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनायें... हम सबके जीवन में 'कान्हा' का आशीर्वाद बरसता रहे...!! :-)

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 2, 2010 at 10:09am
राधे कृष्ण राधे कृष्ण, आप की चार पक्तियां बहुत ही रुचिकर लगी ....

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