For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


आज...
मैं बहुत खुश हूँ...
पूरी दुनिया 'कल' थी...
पर 'मैं' आज हूँ..
क्योंकि आ ज मिला है मुझे...
एक नया खिलौना...
जिसे सब कह रहे थे 'तिरंगा'...

कल था ये सबके हाथों में...
चाहता था मैं भी...
इसे छूना...
लहराना...
फेहराना...
पर किसी ने ना दिया इसे हाथ लगाना...
जैसे ना हो 'हक' मुझे इन सबका...

कल था तरसता सिर्फ 'एक' को...
आज पाया है पड़ा 'अनेक' को...
कल जिन धूल भरे हाथों से ये गंदे होते थे...
आज उन्ही हाथों से साफ़ किया है...
इन पर लगी धूल को...

नहीं जानता क्या कीमत है इनकी...
पर है अनमोल बहुत मेरे लिए...
क्योंकि इन्हें देख ही मेरे रूठे दोस्त...
फिर बोलेंगे मुझसे...
फिर खिलाएंगे साथ वो खेल नये...
फिर लौटेगी सबके चेहरों की खोई हँसी...

और तब बोलूँगा...
सबके संग...
जो सबने कल बोल रहे थे...
शायद... "जय ~ हिंद"...!!

::::जूली मुलानी::::
::::Julie Mulani::::

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Julie on September 6, 2010 at 4:05pm
जगदीश जी सबसे पहले तो मेरी रचना को आपने पढ़ा उसके लिए तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ, जितनी गहराई से आपने इसे पढ़ा शायद उतनी गहराई से तो हमने इसे लिखा भी ना था, ये सन्देश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे बस यही चाहती हूँ, शुक्रिया...!! :-)
Comment by Julie on September 6, 2010 at 4:03pm
बागी जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी रचना को इतना पसंद करने का, बस उसकी तरफ समाज का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की जहाँ अक्सर लोगों का ध्यान नहीं जाता... शुक्रिया...!! :-)
Comment by jagdishtapish on September 6, 2010 at 11:30am
wah julie ji
rasrtriya parivesh mein कल था ये सबके हाथों में...
चाहता था मैं भी...
इसे छूना...
लहराना...
फेहराना...
पर किसी ने ना दिया इसे हाथ लगाना...
जैसे ना हो 'हक' मुझे इन सबका---ek bacche ke antarman ki peeda --sach ke ekdam karib कल था तरसता सिर्फ 'एक' को...
आज पाया है पड़ा 'अनेक' को...
कल जिन धूल भरे हाथों से ये गंदे होते थे...
आज उन्ही हाथों से साफ़ किया है...
इन पर लगी धूल को...is visangati par pahle bhi prabudh varg ne --desh ke jimmevaron ka dhyan aakarshit karaya hai --jo nihayat jaruri bhi hai --aapki peeda ek bachche ki bhvna ke madhyam se ---tirange ke samman mein vieshesh roop se vicharniya to hai hi --sath hi is visangati ke aawasyak --nirakaran ke liye khula sandesh bhi hai --ham naman karte hain aapki bhavna ko --sath hi hradya se dhanyvad bhi --behatrin abhivyakti ke liye --saadar

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2010 at 8:49am
बहुत खूब जुली जी, एक गरीब बालक के मनोदशा का बहुत ही खूबसूरती से आपने दिखाया है अपनी कविता में, आपकी नजर वहा पहुचती है जहाँ पर समाज का अंतिम व्यक्ति होता है, बहुत ही अच्छी कविता है, बधाई इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर, सलाम आप की दृष्टि को ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service