For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"कुछ पन्ने पुराने"



पुरानी डायरी देख...
खुल गये कुछ पन्ने पुराने...
कुछ सपने... कुछ अरमाँ... कुछ यादें...
जिन्हें कभी जीया था मैनें, यूँ ही...
यँहीं इन पन्नों में...
जिनकी भीनी-भीनी महक...
आज भी गुमा रही थी मुझे...

वही ताज़गी... वही एहसास... वही मासूमियत...
पर कुछ है...
जो अब वैसा नही...
क्या है...???
शायद... ’मैं’...???

हाँ... ’मैं’...!!
नही रही अब ’मासूम’...
नही रहे अब वो ’एहसास’...
वो जज़्बात...
जो थे मेरी ’पनाहों’ में कभी...
वक्त गुज़रा... और गुज़र गये सारे एहसास...
दफ़ना दिये, जाने किस कोने में...
शायद अब निशानी भर हैं...
यें...
कुछ पन्ने पुराने...!!

::::जूली मुलानी::::
::::Julie Mulani::::

Views: 436

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Julie on September 12, 2010 at 11:25pm
बहुत बहुत शुक्रिया आशीष जी...!! :-)
Comment by आशीष यादव on September 12, 2010 at 10:55pm
Bahut saarthak rachana hai. Sach me dairy ke panne un bite dino ki yaad dilate hai ki ham kaise jiye the kaun sa pal. Bahut uttam
Comment by Julie on September 12, 2010 at 10:27pm
शुक्रिया अरुण जी...!! :-)
Comment by Abhinav Arun on September 12, 2010 at 10:25pm
आहा ! अति सार्थक चित्र , और मुग्ध करती कविता की पंक्तियाँ .साधुवाद !!! शुभकामनाएं !!!
Comment by Julie on September 10, 2010 at 4:42pm
Shukariya Bijay jee...!! :-)
Comment by BIJAY PATHAK on September 10, 2010 at 1:31pm
Bahut khub
Comment by Julie on September 9, 2010 at 11:22pm
बागी जी आपका बहुत बहुत आभार...!!:-)

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 9, 2010 at 10:03pm
भले हो पन्ने पुराने,
हमे तो आज भी लगते नये,
लौट कर देखिये फिर पुराने दिनों को,
वही मासूमियत वही एहसास,
अल्हड़पन और जज्ज्बात ,
मिल जायेंगे यही कही आस पास,
करो एक प्रयास,करो एक प्रयास ,

अच्छी रचना, सुंदर विचार, हर बार मजेदार, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
6 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service