नमस्कार साथियों,
"चित्र से काव्य तक" अंक -१० प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | हमेशा की तरह इस बार भी प्रतियोगिता का निर्णय करना अत्यंत दुरूह कार्य था जिसे हमारे निर्णायकों नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है जिसके लिए हम उनका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |
लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत कुल ५५८ रिप्लाई आयीं हैं इनके अंतर्गत अधिकतर कुंडलिया , दुर्मिल सवैया, मत्तगयन्द सवैया, छन्न -पकैया, दोहा, मनहरण-घनाक्षरी, जलहरण-घनाक्षरी, हरिगीतिका, उल्लाला आदि अनेक विधाओं में छंद प्रस्तुत किये गये, इस बार छंदों की कुछ ऐसी रसधार बही कि सर्वत्र आनंद ही आनंद हो गया | इस प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य, आदरणीय अविनाश बागडे जी, आदरणीय संजय मिश्र 'हबीब' , आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , डॉ० ब्रजेश त्रिपाठी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, व आदरणीय गणेश जी बागी, आदरणीय योगराज प्रभाकर जी व आदरणीय धर्मेन्द्र शर्मा जी आदि ने अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों में परस्पर संवाद कायम रखा तथा तथा छंदों का खुलकर प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी आकर्षक व रुचिकर बना दिया | इस आयोजन में उत्साहवर्धन हेतु आदरणीय श्री आलोक सीतापुरी जी, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी श्री संजय मिश्र 'हबीब' जी, आदि नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की परिधि के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही | प्रसन्नता की बात यह भी है कि अभी-अभी हाल में ही ओ बी ओ से जुड़े हमारे कई नए सदस्य इस प्रतियोगिता को लेकर बहुत ही उत्साहित रहे जिनमें श्री नीरज व श्रीमती किरण आर्य आदि स्पष्ट रूप से कहते हैं कि उन्हें यहाँ से छंदों के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है | आप सभी नें प्रतियोगिता की समाप्ति तक अपनी-अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने का क्रम जारी रखा है |
बंधुओं ! छंद आधारित प्रतियोगिता होने के बावजूद हमारे कुछ कवि मित्र छंद से इतर रचनाएँ पोस्ट करने के लोभ का संवरण नहीं कर पाए जिन्हें ओ बी ओ के नियमानुसार टीम-एडमिन के स्तर से हटाना पड़ा | इसके लिए हमें अत्यंत खेद है .......फिर भी अत्यंत हर्ष का विषय यह है कि चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता छंदबद्ध होकर अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है...........
इस यज्ञ में काव्य-रूपी आहुतियाँ डालने के लिए सभी ओ बी ओ मित्रों का हार्दिक आभार...
प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company
प्रथम स्थान : पर श्री गोपाल ‘सागर’ जी का गंगा-जमुनी हरिगीतिका छंद प्रतिष्ठित हुआ है |
पार हो दरिया हयाते गो, ग़मों का बोझ भारी|
उच्चतम अपने इरादे को,-शिशें अनवरत जारी|
धर्म मज़हब सब भुला कर गो,-द में खेलें मुरारी|
अब सुधर जाएँ सभी इंसा,-नियत की खेल पारी||
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द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company
द्वितीय स्थान ; श्री अरुण कुमार निगम जी के ‘मत्तगयन्द सवैया’ छंद को जाता है |
बाल गोपाल चले ननिहाल , सम्हालत गोद मा मैया समीना
अब्बा सलीम के हाल बेहाल चले ससुराल, जो भायी कभी ना
माखन छाछ मलाई मिठाई , कन्हाई को भावत दूध दही ना
लाल की जिद्द पे हार गये , मनुहार दुलार मनाय सकी ना
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तृतीय पुरस्कार रुपये २५१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala
A leading publishing House
तृतीय स्थान : पर श्री रघुविंद्र यादव जी के ‘दोहे’ विराजमान हैं
भारत से सदभाव की, मिलती नही मिसाल/
केशव की लीला करें, अब्दुल और बिलाल//
सलमा पाले श्याम को, गंगाजी रहमान/
कहें गर्व से हम सभी, मेरा देश महान//
फजलू अब गीता पढ़ें, केशव पढ़ें क़ुरान/
आल्हा भी रहमत करें, खुश होंवें भगवान//
केशव पलें सलीम घर , अली नंद के द्वार/
यही हमारी कामना, यही धर्म का सार//
बिस्मिल पंडित जात के, ख़ान वीर अशफ़ाक़/
ढूँढे से मिलता नही, ऐसा रिश्ता पाक//
प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व साधुवाद...
प्रथम व द्वितीय स्थान के उपरोक्त दोनों विजेता आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-११ के निर्णायक के रूप में भी स्वतः नामित हो गए हैं, तथा आप दोनों की रचनायें आगामी अंक के लिए स्वतः प्रतियोगिता से बाहर होगी |
जय ओ बी ओ!
अम्बरीष श्रीवास्तव
अध्यक्ष,
"चित्र से काव्य तक" समूह
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार
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आदरणीय प्रधान संपादक जी! आपका हार्दिक आभार ! जय ओ बी ओ !!!
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी,
निर्णय करना है कठिन, विद्वानों के बीच|
हंस सभी जब श्रेष्ठ हों, नहीं ऊँच या नीच||
फिर भी निर्णय दे सके, अपनी मति अनुसार|
योग्य हमें समझा गया, दिल से है आभार ||
आपका पुनः हार्दिक आभार | उपरोक्त तीनों विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई |
तीनों विजेताओं --आदरणीय गोपाल जी ’सागर’, भाई अरुण ’निगम’ तथा भाई रघुविंद्र जी-- को मेरी हार्दिक बधाइयाँ.
प्रायोजकों की सदाशयता हेतु सभी साहित्यप्रेमी हृदय से आभारी हैं.
जब इतिहास बनता है तो ऐसे ही बनता है. चुपचाप. लेकिन उसकी धमक सदियों तक महसूस की जाती है. ओबीओ के पटल पर इस आयोजन के साथ ही एक इतिहास बना है. हम सभी इस महान घड़ी के दर्शक हुए हैं, यह हमारे लिये महान उपलब्धि है.
शुक्रिया मान्यवर ! आभारी हूँ
धन्यवाद भाईजी.
आप ओबीओ के अन्य आयोजनों में भी शरीक हों और हमारा उत्साहवर्द्धन करें, आदरणीय.
जी पूरा प्रयास करूँगा, पुन आभार
आदरणीय सौरभ जी ! हमेशा की तरह आप की यह प्रतिक्रिया भी लाजवाब है ......इस सफल आयोजन के पीछे कहीं न कहीं हम सभी का योगदान है .......जय हो मित्रवर ! :-))
सही कहा है आपने, आदरणीय अम्बरीषजी, आयोजन की सफलता में कहीं न कहीं सभी का योगदान है. सहयोग इसी तरह बना रहे.
सादर
सादर...:-))))))
हार्दिक धन्यवाद
निर्णायक मंडल के इस निर्णय से बहुत ही खुशी हुई. सभी विजेताओं को बहुत बधाई व शुभकामनाये.
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